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सोच हो तो शौचालय बनाने में धन की कमी रोड़ा नहीं

श्रावस्ती :स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों को खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए शौचालय निर्माण पर

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 11:15 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 11:15 PM (IST)
सोच हो तो शौचालय बनाने में धन की कमी रोड़ा नहीं
सोच हो तो शौचालय बनाने में धन की कमी रोड़ा नहीं

श्रावस्ती :स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों को खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए शौचालय निर्माण पर अनुदान दिया जा रहा है। लगातार मानीट¨रग के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। इस सबके बीच राप्ती के कछार में सब्जी की खेती कर रहे किसानों ने शौचालय के प्रयोग को लेकर मिसाल कायम की है। सब्जी की रखवाली के लिए खेत में ही रात बिताने वाले इन किसानों को खुले में शौच जाना पसंद नहीं है। इसके लिए मात्र 500 रुपये खर्च कर खेत में ही अस्थाई शौचालय बना लिया है।

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गिलौला व इकौना ब्लॉक में राप्ती नदी के कछार में भारी मात्रा में सब्जी की खेती की जाती है। यहां मुजफ्फरनगर के किसान परिवार समेत डेरा डाले हैं। भरथापुर गांव के पास लगभग 70 बीघे में लौकी, करैला, कद्दू, भिंडी आदि हरी सब्जियों की खेती की जाती है। यहां वर्तमान समय में लगभग 30 किसान रह रहे हैं। कछार में सन्नाटा व काफी मात्रा में खाली जमीन होने के बाद भी यह किसान खुले में शौच जाना मुनासिब नहीं समझते हैं। सभी परिवारों ने अपने अस्थाई मकान से जोड़कर अस्थाई शौचालय बना रखा है।

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क्या कहते हैं किसान

-सब्जी किसान नूर मुहम्मद, सद्दाम हुसैन व असगर अली का कहना है कि खुले में शौच जाना सभ्यता के विपरीत है। अस्थाई शौचालय के लिए दीवार की जगह फूस की टटिया लगा दी जाती है। 250 से 300 रुपये के बीच पुरानी शीट मिल जाती है। 8 गुणे 8 आकार के दो गड्ढे खोद कर पाइप के सहारे मल व पानी को अलग-अलग गड्ढों में गिराया जाता है। यह शौचालय दो-तीन साल तक आराम से चलते हैं। इस पर अधिकतम खर्च पांच सौ रुपये आता है।

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ग्रामीणों के लिए है प्रेरणा

-भरथापुर के ग्राम प्रधान रमन सिंह कहते हैं कि कछार में खेती कर रहे सब्जी किसान अन्य ग्रामीणों के लिए प्रेरणा हैं। पैसा मिलने के बाद भी जो लोग शौचालय नहीं बनवाते हैं उन्हें इन किसानों का उदाहरण देकर समझाया जाता है। इसका काफी प्रभाव भी दिखता है।


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