Move to Jagran APP

पर्यटन के पीक समय में सन्नाटे का संताप झेल रहा तीर्थ क्षेत्र

श्रावस्ती तीर्थ क्षेत्र को प्रति माह एक लाख रुपये से अधिक की हो रही राजस्व क्षति

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 11:29 PM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 06:12 AM (IST)
पर्यटन के पीक समय में सन्नाटे का संताप झेल रहा तीर्थ क्षेत्र
पर्यटन के पीक समय में सन्नाटे का संताप झेल रहा तीर्थ क्षेत्र

संजय रस्तोगी, इकौना(श्रावस्ती) : कोरोना संक्रमण ने जिले के पर्यटन उद्योग को पूरी तरह तबाह कर दिया है। बौद्ध तीर्थ क्षेत्र श्रावस्ती अपने पर्यटन के पीक समय में सन्नाटे का संताप झेल रही है। जेतवन का प्रवेश द्वार बंद होने से प्रतिमाह एक लाख रुपये से अधिक के राजस्व की क्षति हो रही है। पर्यटकों के सहारे चलने वाला व्यापार भी यहां दम तोड़ रहा है। कोरोना ने तीर्थ क्षेत्र की अर्थ व्यवस्था को बेपटरी कर दिया है।

prime article banner

बौद्ध मतावलंबियों के लिए अषाढ़ पूर्णिमा से अश्विन पूर्णिमा तक का समय वर्षावास काल माना जाता है। तथागत गौतम बुद्ध ने अपने जीवन के सर्वाधिक 25 वर्षावास श्रावस्ती में व्यतीत किए थे। इस कारण से वर्षावास के समय में तीर्थ क्षेत्र देश-विदेश के पर्यटकों व तीर्थ यात्रियों से गुलजार रहता था। इन दिनों में एक स्थान पर रुककर ध्यान साधना व बौद्ध साहित्य पर चितन मनन करने का विधान है। वर्षावास काल में देश-विदेश के बौद्ध मतावलंबी श्रावस्ती में रुक कर ध्यान पूजा व बौद्ध साहित्य का अध्ययन तथा श्रवण करते हैं। यहां से निकलने के बाद तीर्थ यात्री देश के अन्य पर्यटन व तीर्थ स्थलों का भी भ्रमण करते थे। कोरोना संक्रमण के चलते देश-विदेश के पर्यटकों का आना-जाना पूरी तरह बंद है। इस बार तीर्थ क्षेत्र में तीर्थ यात्रियों का टोटा बना है। अगस्त महीने में पर्यटकों से गुलजार रहने वाली श्रावस्ती सूनापन झेल रही है। पुरातत्व प्रभारी अखिलेश तिवारी कहते है कि अगस्त के पहले सप्ताह में स्थानीय 25 दर्शक ही श्रावस्ती आए हैं। जुलाई माह में भी यह संख्या मात्र सौ थी।

इनसेट

स्थानीय हाथों से छिना रोजगार

श्रावस्ती तीर्थ क्षेत्र में देशी-विदेशी तीर्थ यात्रियों का जमावड़ा होने से स्थानीय लोगों को रोजागार मिलता था। कई परिवारों के लोग तीर्थ क्षेत्र में फूलमाला, मूर्ति, पानी की बोतल आदि वस्तुओं की बिक्री कर जीविकोपार्जन करते थे। छह माह के पर्यटन सीजन में एक वर्ष तक परिवार चलाने भर की आय हो जाती थी। कोरोना महामारी के चलते इन परिवारों को रोजी-रोटी चलाना मुश्किल हो रहा है।

इनसेट

मात्र 6700 रुपये के बिके टिकट

श्रावस्ती तीर्थ क्षेत्र के जेतवन परिसर में भगवान बुद्ध की तपोस्थली स्थित है। यहां आने वाले विदेशी पर्यटकों से 300 रुपये प्रति पर्यटक व भारतीय तथा सार्क देशों के पर्यटकों के लिए 25 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से टिकट की कीमत ली जाती है। बीते वर्ष जुलाई माह में 2340 भारतीय व सार्क देश के तथा 199 विदेशी पर्यटकों से लगभग एक लाख 20 हजार व अगस्त माह में 2040 भारतीय व सार्क देश तथा 130 विदेशी पर्यटकों से 90 हजार रुपये का राजस्व मिला था। इस वर्ष इन दोनों महीनों में मात्र 6700 रुपये के टिकट की बिक्री हुई है।

इनसेट

वर्षवार श्रावस्ती आए पर्यटकों का वितरण

वर्ष देशी विदेशी कुल

2018 50000 68539 118539

2019 52000 90667 142667

2020 2125 6634 8759


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.