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भारतीय क्षेत्र के सहारे चल रहा नेपालियों का दवा व दाना-पानी

जंगल के पगडंडी रास्तों से होकर पहुंचते हैं सिरसिया व सीमावर्ती क्षेत्र की साप्ताहिक बाजार उपकेंद्रों पर करवाते हैं इलाज

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 09:56 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 05:11 AM (IST)
भारतीय क्षेत्र के सहारे चल रहा नेपालियों का दवा व दाना-पानी
भारतीय क्षेत्र के सहारे चल रहा नेपालियों का दवा व दाना-पानी

भूपेंद्र पांडेय/हनुमान सोनी, श्रावस्ती : आपस में रोटी-बेटी का संबंध रखने वाले भारत व नेपाल के रिश्तों में इन दिनों खटास है। कोरोना संक्रमण के शुरुआत से ही सीमा पर आवाजाही बंद है। पुलिस के साथ एसएसबी के जवान पहरा दे रहे हैं। इन परिस्थितियों के बीच पहाड़ पर रह रहे नेपाली नागरिक भोजन व दवाओं के संकट से जूझ रहे हैं। जरूरतों को पूरा करने के लिए चोरी-छिपे भारतीय क्षेत्र के बाजारों में नेपाली नागरिकों की आमद हो रही है। सिरसिया क्षेत्र में सीमा पर स्थित सरकारी अस्पताल नेपाली नागरिकों को भी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। सीमा लॉक होने के बाद भी यह आवाजाही कैसे हो रही है, इसको लेकर स्थानीय बाजारों के लोगों के जेहन में सवाल बना हुआ है।

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नेपाल राष्ट्र के लगभग 20 गांव भारतीय सीमा पर बसे हैं। दाल, तेल, नमक, मिर्च-मसाला आदि भोजन तैयार करने की आवश्यक वस्तुओं के लिए अरसे से नेपाली नागरिकों की निर्भरता भारतीय बाजार पर बनी थी। दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ने के बाद नेपाली नागरिकों की मूलभूत जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं। सीमा पर मुस्तैद जवानों को चकमा देकर चोरी-छिपे नेपाली लोग सिरसिया बाजार से वस्तुओं की खरीद कर पहाड़ी गांवों में स्थित दुकानों पर बिक्री करते हैं। यहां महंगाई चरम पर है। दवा-इलाज के लिए भी लोग परेशान हैं। सिरसिया क्षेत्र के स्वास्थ्य उपकेंद्र तकिया पर अपनी पत्नी लक्ष्मी धात्री का प्रसव कराने आए नेपाल राष्ट्र के सोनपथरी नाका निवासी यम बहादुर धात्री ने नेपाल के हालात साझा किए। उपकेंद्र पर प्रसव के बदले उनसे 1800 रुपये वसूले गए थे। इसका दर्द उनकी आंखों में था। उन्होंने बताया कि पहाड़ पर वस्तुएं तीन से चार गुना महंगे रेट पर बिक रही हैं। भारतीय अस्पतालों से दवा इलाज हो जाता था। यहां भी अब चोरी-छिपे आना पड़ता है। स्थानीय दुकानों पर सर्दी, खांसी की दवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। भारतीय क्षेत्र के सिरसिया, चिल्हरिया मोड़, तालबघौड़ा, कटकुइंया, सोनबरसा व पड़वलिया की बाजार के सहारे जैसे-तैसे परिवार का दाना-पानी व दवा-इलाज चल रहा है। इन आवश्यकताओं के लिए नेपाल में दो पहाड़ पार कर तुलसीपुर जाना पड़ेगा। यह रास्ता लंबा होने के साथ कठिनाइयों से भरा है। इनसेट-

भारतीय गांवों का भी है सहारा

जंगल व पहाड़ के बीच सिरसिया व जमुनहा ब्लॉक क्षेत्र में बालू घोलिया, पैकौरी, भटपुरवा, पकड़िया, तकिया, जंगलीपुरवा, फुलहिया, कसियापुर, जरवलिया, गब्बापुर, रामपुर, घोलिया, रनियापुर, रवलपुर, भचकाही, मदारगढ़ आदि 32 गांव स्थित हैं। इन गांवों में भी छोटी-छोटी दुकानें हैं। नेपाली नागरिक यम बहादुर ने बताया कि लॉकडाउन में साप्ताहिक बाजारें बंद थीं। सिरसिया आ पाना भी काफी कठिन था। ऐसे में जरूरतों के लिए भारतीय गांवों का ही सहारा था। अभी भी इन गांवों से काफी जरूरतें पूरी हो जाती हैं।

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सीमा पर आवागमन पूरी तरह प्रतिबंधित

कमांडेंट 62वीं वाहिनी एसएसबी चिरंजीब भट्टाचार कहते हैं कि कोविड- 19 के चलते सीमा पर आवागमन पूरी तरह प्रतिबंधित है। नेपाली फोर्स भी अपने क्षेत्र में निगरानी कर रही है। खुली सीमा होने से कुछ लोग चोरी-छिपे आ जाते हैं। कुछ दिनों पूर्व तुरषमा बार्डर पर 51 पासपोर्ट के साथ दो नेपाली व एक भारतीय नागरिक को पकड़ा गया था। आवाजाही रुकी रहे, इसके लिए नेपाल के अधिकारियों से भी बातचीत होती रहती है। बाजार में आमद हो रही तो चौकसी और बढ़ाई जाएगी।

---------------------- सीमा पर आवाजाही में कोई ढील नहीं है। भारतीय क्षेत्र के बाजार व स्वास्थ्य केंद्रों पर यदि नेपाली नागिरक पहुंच रहे हैं तो इसे दिखवाया जाएगा।

- अरविद कुमार मौर्य, पुलिस अधीक्षक, श्रावस्ती।


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