कोरोना से सीखा जीना..नशे को बोला ना
विजय द्विवेदी श्रावस्ती इकौना ब्लॉक के भोलवा तमाही निवासी नकछेद लाल यादव को सिगरेट पीने की
विजय द्विवेदी, श्रावस्ती
इकौना ब्लॉक के भोलवा तमाही निवासी नकछेद लाल यादव को सिगरेट पीने की बुरी लत थी। दिनभर में पांच-छह सिगरेट पिए बिना उनका जी नहीं मानता था। कोरोना संकट की जब घड़ी आई और लॉकडाउन लागू हुआ तो दुकानें बंद हो गईं। दो-चार दिन तो उन्होंने इधर-उधर से जुगाड़ करके अमल बुझाई, लेकिन जब सिगरेट की डिब्बी डेढ़-दो सौ रुपये में बिकने लगी तो उनके जेहन में फिजूल खर्ची को लेकर झटका लगा। सोच-बिचार करके उन्होंने नशे को न कहकर सिगरेट न पीने का संकल्प लिया। वे बताते हैं कि 46 दिन हो गए हैं। सिगरेट को उन्होंने हाथ नहीं लगाया है। अमल पर काबू पाने के लिए उन्होंने टॉफी का सहारा लिया है।
नकछेद ही नहीं भिनगा के पुरानी बाजार निवासी प्रदीप सोनी हो या फिर हरिहरपुररानी ब्लॉक के पंडितपुरवा के पुष्कर पाठक हों। इन लोगों ने भी कोरोना काल में नशे को न कह कर फिजूल खर्ची को बंद कर दिया है। इन लोगों के अलावा पचासों ऐसे लोग होंगे जिन्होंने खैनी, गुटखा, पान-मसाला को न कह करके कोरोना से जीना सीख कर अपने रोजमर्रा की लाइफ स्टाइाल को ही बदल दिया है। परंपरा व संस्कृति को मजबूत कर ऐसे युवा सकारात्मक सोच को अब बढ़ावा दे रहे हैं। समय के साथ धारणाएं भी लोगों की बदलती जा रही हैं। काम करने के तरीकों में भी बदलाव हो रहा है। इकौना सीएचसी के अधीक्षक डॉ. एके मिश्र कहते हैं कि इससे दो फायदे होंगे। एक तो फिजूल खर्ची पर रोक लगेगी तो दूसरा फायदा सेहत दुरुस्त रहेगा।