सरहद पर नियमों की जकड़न से पर्व पर सूने रहे बाजार
नेपाल सीमा सील होने के कारण हिदुस्तानी बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा। व्यापारियों का धंधा रहा मंदा गोदामों में माल भरा है।
विजय द्विवेदी, श्रावस्ती
नेपाल सीमा से सिर्फ चार किलोमीटर दूर जमुनहा बाजार है। दोपहर तकरीबन दो बजे अपनी किराना की दुकान पर बैठे सिराजुल हफीज सुदर्शन फाकिर की गजल - कुछ तो दुनिया की इनायत ने दिल तोड़ दिया.. गुनगुना रहे थे। कुछ ग्राहक भी मौजूद थे। सिराजुल हफीज से इत्मिनान से बैठने का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सरहद पर नियमों की जकड़न होने के कारण धनतेरस, दीपावली व भैयादूज सब सूना चला गया। बाजार की चमक बहुत ही फीकी रही। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार 30 फीसद ही बिक्री हो सकी है। बहरहाल, नेपाली ग्राहकों के न आने से व्यापारियों के माथे पर चिता की लकीरें देखी जा सकती हैं।
जमुनहा-नेपाल बार्डर पर बसे भगवानपुर, मटहिया, रघुनाथपुर, पंडितपुरवा, गंगापुर, फत्तेपुर, घोड़दौरिया, सोनबरसा समेत पचासों गांवों के लिए खरीदारी का केंद्र है। नेपाल के सीमावर्ती गांवों के बदौलत यहां का कारोबारियों का धंधा चोखा रहता है लेकिन, कोरोना और सीमा विवाद की तल्खी ने आवागमन पर रोक लगा दी तो कारोबारियों की आस धीरे-धीरे निराशा में बदलती गई। दीपावली पर्व पर बाहर से माल मंगाया था, जो कि बिक्री न होने के कारण गोदाम में या घरों में रखा है। कपड़ा व्यवसायी राजू बताते बताते हैं कि दीपावली पर खरीदारी करने नेपाल से आने वालों की तादात न होने से बिक्री पिछले वर्ष की अपेक्षा 50 फीसद कम हुई है। कन्हैया ज्वैलर्स के संचालक कन्हैया गुप्ता गुलाबी ठंड में भी माथे पर पसीना पोछते हुए कहते हैं कि इस बार दीपावली पर सिर्फ 20 फीसद बिक्री हुई है। सीमा सील होने के कारण नेपाल से ग्राहकों का आना नही हो सका, जिससे हिदुस्तानी बाजार पर काफी असर पड़ने के साथ व्यापारियों को काफी नुकसान सहना पड़ा है। नेपाल बार्डर से 11 किमी. सिरसिया बाजार की भी यही स्थिति रही। इधर, कुछ नरमी के कारण नेपाली ग्राहक तो यहां आए लेकिन, भीड़ नहीं उमड़ी। कपड़ा व्यवसायी राकेश यादव बताते हैं कि मार्च से कोविड के चलते नेपाल सीमा सील किए जाने के बाद पड़ोस देश के लोगों की आमद थमने से भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। किराना व्यवसायी मंगल प्रसाद गुप्ता ने बताया कि नेपाल के नागरिकों की आमद न होने के कारण काफी फर्क पड़ा है। रोजमर्रा के सामानों को खरीदने के लिए नेपाली नागरिक आते थे। इस बार दीपावली का पर्व सन्नाटे में ही गुजर गया।