पोषण मिशन की शुरुआत करने वाले जिले में ही कुपोषण
श्रावस्ती : जिस जिले से राज्य पोषण मिशन की शुरुआत हुई हो, वह जिला कुपोषण के मामले में देश भर के जिल
श्रावस्ती : जिस जिले से राज्य पोषण मिशन की शुरुआत हुई हो, वह जिला कुपोषण के मामले में देश भर के जिलों में दूसरी पायदान पर। यह स्थिति इस जिले के जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों के लिए शर्मनाक होनी चाहिए। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। वर्ष 2017 में नीति आयोग द्वारा जारी नेशनल न्यूट्रीशन स्ट्रैटजी की रिपोर्ट ने कुपोषण के मामले में श्रावस्ती को देश भर में दूसरे स्थान पर रखा था। इस सबके बाद भी बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
यह है कुपोषण की तस्वीर
जिले में छह से 59 माह के 69.9 प्रतिशत बच्चे और 48.7 प्रतिशत से अधिक महिलाएं कुपोषण का शिकार हैं। इनमें से पांच साल तक की आयु वर्ग के 39.2 प्रतिशत बच्चे मानक से कम वजन के हैं। 10.1 प्रतिशत बच्चों की लंबाई और भार मानक से कम है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार 15-49 वर्ष आयु वर्ग की कुल 48.7 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी से जूझ रही हैं। इसी आयु वर्ग की 39.9 प्रतिशत गर्भवर्ती महिलाएं और 49.4 प्रतिशत सामान्य महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं।
इन योजनाओं का हो रहा संचालन : कुपोषण को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार बांटा जा रहा है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत नेशनल आयरन प्लस इनीशिएटिव, साप्ताहिक आयरन संपूर्ण कार्यक्रम, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत बच्चों, किशोरों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं को आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन की गोलियां दी जाती हैं।
यह है आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति : सरकारी फाइलों के मुताबिक जिले में अभी 925 आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे हैं। स्थलीय सच्चाई यह है कि इनके खुलने और बंद होने का कोई समय ही नहीं है। यहां दिया जाने वाला पोषाहार कालाबाजारी की भेंट चढ़ रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर एक लाख 83 हजार बच्चे पंजीकृत हैं। विभाग का दावा है कि आगामी वर्ष में जिले में 372 नए आंगनबाड़ी केंद्र और खोले जाने हैं।
मोटे अनाज के सेवन से दूर करें कुपोषण : जिला चिकित्सालय के फिजीशियन डा. एनएन पांडेय बताते हैं कि कुपोषण की एक वजह यह भी है कि पौष्टिकता के भंडार सावा, काकुन, कोदो, ज्वार और बाजरा जैसे अनाज हमारी भोजन थाली से गायब होते जा रहे हैं। मोटे अनाज कहे जाने वाले ज्वार, बाजारा, सावा, काकुन और कोदो में पोषक तत्व अधिक पाए जाते हैं। इनके सेवन से हम कुपोषण को दूर कर सकते हैं।