Move to Jagran APP

गरीब लहरों पे पहरे बिठाए जाते हैं..

श्रावस्ती: गरीब लहरों पे पहरे बिठाए जाते हैं, समंदरों की तलाशी कोई नहीं लेता। मशहूर शाय

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 10:36 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 10:36 PM (IST)
गरीब लहरों पे पहरे बिठाए जाते हैं..
गरीब लहरों पे पहरे बिठाए जाते हैं..

श्रावस्ती: गरीब लहरों पे पहरे बिठाए जाते हैं, समंदरों की तलाशी कोई नहीं लेता। मशहूर शायर वसीम बरेलवी का यह शेर वर्तमान व्यवस्था पर सटीक बैठता है। परिषदीय विद्यालयों में पठन-पाठन के लिए शिक्षिकाएं तैनात की गई हैं। मध्यान्ह भोजन बनाने की जिम्मेदारी रसोइयों पर है। करवा चौथ पर्व पर पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनों ने व्रत रखा तो शिक्षिकाओं को छुट्टी मिल गई, लेकिन रसोइयों को व्रत रखकर स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए ड्यूटी करनी पड़ी। एक ही विभाग में कर्मचारियों के साथ दोहरा व्यवहार चर्चा का विषय रहा।

loksabha election banner

परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षिकाओं को 40 से 50 हजार रुपये प्रति माह वेतन मिलता है। इन्हीं स्कूलों में नौनिहालों को दोपहर का भोजन देने के लिए रसोइयां तैनात हैं। इन्हें एक हजार रुपये प्रतिमाह की दर से मानदेय दिया जाता है। करवा चौथ पर स्कूलों में तैनात शिक्षिकाओं का अवकाश घोषित है, लेकिन रसोइयों को तय समय से अपनी ड्यूटी पर हाजिर होना पड़ा। भूखी-प्यासी सुहागिन रसोइयां बच्चों का मध्यान्ह भोजन बनाने से लेकर बर्तन साफ करने व साफ-सफाई करने तक मुस्तैद रहीं। नाम न छापने की शर्त पर रसोइयों से बातचीत की गई तो उनका दर्द आंखों से फूट पड़ा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.