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पहली बार सरहद पर बंदिशों में जकड़ा भैया दूज का त्योहार

नेपाल सीमा सील हजारों बहनें अपने भाइयों को नहीं लगा सकेंगी रोली-टीका

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 11:43 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 11:43 PM (IST)
पहली बार सरहद पर बंदिशों में जकड़ा भैया दूज का त्योहार
पहली बार सरहद पर बंदिशों में जकड़ा भैया दूज का त्योहार

विजय, द्विवेदी, श्रावस्ती : नेपाल सरहद से सटे भिनगा के हनुमानगढ़ी मुहल्ले के घनश्याम पांडेय की पत्नी माधुरी देवी सरहद की बंदिशों से चितित हैं। नेपाल के ढांग जिले के हेमंतापुर से 15 साल पहले ब्याह कर आई माधुरी के लिए यह पहला मौका होगा जब वह अपने भाई को सतरंगी माला पहनाकर रोली और टीका नहीं लगा पाएंगी। नेपाल में अपने मायके न जा सकेंगी न ही उनके भाई यहां पा आ सकेंगे। वजह आजादी के बाद पहली बार भैया दूज पर नेपाल सरहद इस तरह से बंदिशों में जकड़ा है। कोरोना ने आना-जाना तो बंद किया, लेकिन भारत-नेपाल सीमा विवाद ने पूरे सरहद को बंदिशों में जकड़ दिया है। माधुरी जैसा ही दर्द प्रिया मिश्रा का भी है। नेपालगंज शहर की प्रिया की शादी दो वर्ष पूर्व लक्ष्मननगर निवासी अधिवक्ता बृजेश पाठक के साथ हुई थी। पिछले दिसंबर माह से मायके नहीं जा सकी हैं। उनका भी यह पहला मौका है जब वह भैया दूज पर मायके नहीं जा पा रही हैं। नेपाल के धनगढ़ी की रिकी की शादी छह वर्ष पूर्व भिनगा खैरी मोड़ निवासी प्रमोद कुमार के साथ हुई थी। रिकी बताती है कि यह पहली बार है जब बंदिशों के चलते वह भैया दूज जैसे पर्व पर मायके नहीं जा पा रही हैं। माधुरी, प्रिया व रिकी तो सिर्फ एक बानगी हैं। सीमा के दोनों ओर रहने वाली हजारों बहनें सरहद की बंदिशों में जकड़ी इस दर्द से गुजर रही हैं। लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर से लेकर महाराजगंज जिले की सीमा नेपाल की पीठ से जुड़ी हैं। नेपाल की लगभग 48 फीसद आबादी मधेसी है। मधेसियों के ज्यादातर रिश्ते भारत में हैं। यहां की लड़कियां नेपाल में ब्याही है तो नेपाल के बहुत सी लड़कियों की शादी भारतीय क्षेत्र में हुई है। यही नहीं पहाड़ी समुदाय के लोगों की भी उत्तराखंड दार्जिलिग समेत अन्य स्थानों पर रिश्तेदारियां हैं। नेपाल सीमा सील होने के कारण हजारों लोग यह पर्व भाइयों एवं बहनों के साथ नहीं मना पाएंगे। न ही अपने भाई को बहनें लाई-खील खिला सकेंगी। माधुरी कहती हैं कि पिछले फरवरी में भतीजे के मुंडन में वह मायके गई थीं। सीमा सील होने के कारण इस बार भैया दूज पर मायके नहीं जा सकेंगी, जबकि हर बरस भैया दूज का पर्व मायके में ही मनाती थी।

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तीन फूलों की बहनें पहनाती हैं माला, लगाती हैं रोली-टीका

दीपावली और भैया दूज का पर्व भारत व नेपाल में अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है। नेपाल की परंपरा का कलेवर लिए यह पर्व अनूठे अंदाज में मनाने का अंदाज है। भैया दूज के दिन सभी बहनें अपने भाइयों को तीन फूलों की माला पहनाती हैं और रोली-टीका लगाकर यमुना मैया से उनके दीर्घायु होने की कामना करती हैं।


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