खेतों की मेड़ों पर लहलहाएंगे पौधे
श्रावस्ती हिमालय की तलहटी में बसा श्रावस्ती प्रकृति की संपदा से भरपूर है। यहां 18 प्रतिशत भू-भाग पर वन क्षेत्र है। इसे और विस्तार करने के लिए वन विभाग ने कार्ययोजना तैयार की है।
भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती : हिमालय की तलहटी में बसा श्रावस्ती प्रकृति की संपदा से भरपूर है। यहां 18 प्रतिशत भू-भाग पर वन क्षेत्र है। इसे और विस्तार करने के लिए वन विभाग ने कार्ययोजना तैयार की है। ककरदरी, भिनगा व हरदत्तनगर गिरंट के साथ पश्चिमी सोहेलवा में छायादार व फलदार पौधों की नर्सरी तैयार की जा रही है। बरसात में 4500 हेक्टेअर क्षेत्रफल में 52 लाख 60 हजार पौधे खेतों की मेड़ों पर लगाए जाएंगे।
वर्षाकाल में विस्तृत पौधरोपण कार्यक्रम चलाने के लिए वन विभाग ने कमर कस ली है। वन भूमि पर 34 लाख 40 हजार पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए विभाग ने भूमि चिह्नित कर गड्ड़ा खोदाई की शुरुआत कर दी है। अन्य 25 विभागों की मदद से 18 लाख 20 हजार पौधे लगाए जाएंगे। लक्ष्य के सापेक्ष शत प्रतिशत पौधरोपण के लिए विभाग की ओर से 30 नर्सरी में 78 लाख पौधे तैयार किए जा रहे है। इसमें 26 लाख पौधे पिछले वर्ष के हैं। एक हेक्टेअर में लगेंगे 1100 पौधे
डीएफओ एपी यादव ने बताया कि पौधों को लगाने के बाद उनका विकास भी ठीक ढंग से हो, इसके लिए एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच वैज्ञानिक ढंग से दूरी रखनी होगी। सामान्य भूमि पर एक हेक्टेअर क्षेत्र में 1100 पौधे लगेंगे। यहां एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच तीन मीटर की दूरी रहेगी। इसी प्रकार ऊसर भूमि पर दो मीटर के फासले रखते हुए पोधे लगवाए जाएंगे। यहां एक हेक्टेअर क्षेत्रफल में 2000 पौधे लगेंगे। हर किसान लगाएगा 10 पौधे
जिला कृषि अधिकारी आरपी राना ने बताया कि कृषि विभाग की ओर से 12 लाख पौधे लगवाए जाएंगे। यह पौधे किसान सम्मान निधि के लाभार्थी किसानों को दिए जाएंगे। किसानों को खेतों की मेड़ों पर पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। प्रति किसान 10 पौधे की दर से पौधरोपण करवाने का लक्ष्य रखा गया है। शोभाकार पौधों का भी होगा रोपण
डीएफओ ने बताया कि अधिकांश लोग रोपड़ के लिए सागौन के अलावा आम, अमरूद, आंवला व कटहल समेत फलदार पौधों की अपेक्षा रखते हैं। नर्सरी में अधिक मात्र में यही पौधे हैं। इसके अलावा शहरी क्षेत्र में घर के सामने लगाने अथवा सड़क किनारे लगाने के लिए शोभाकार पौधे भी तैयार किए जा रहे हैं। इसमें मोलश्री, कदम, अशोक व गुलमोहर समेत अन्य प्रजातियों के पौधे शामिल हैं।