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जमीनों पर हो रहे अवैध कब्जे, नहीं हो रही सुनवाई

सरकार ने हर गांव के लिए बाकायदा एक कैलेंडर जारी किया है जिसमें तय किया गया है कि राजस्व व पुलिस की संयुक्त टीमें कब किस गांव जाएंगी। भूमि संबंधी विवादों के निस्तारण का श्रावस्ती मॉडल पूरे प्रदेश में लागू किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 11:09 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 11:09 PM (IST)
जमीनों पर हो रहे अवैध कब्जे, नहीं हो रही सुनवाई
जमीनों पर हो रहे अवैध कब्जे, नहीं हो रही सुनवाई

श्रावस्ती : सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वाले भू-माफियाओं पर नकेल कसने के लिए तीन वर्ष पूर्व योगी सरकार ने एंटी-भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन किया।

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सरकार ने हर गांव के लिए बाकायदा एक कैलेंडर जारी किया है, जिसमें तय किया गया है कि राजस्व व पुलिस की संयुक्त टीमें कब किस गांव जाएंगी। भूमि संबंधी विवादों के निस्तारण का श्रावस्ती मॉडल पूरे प्रदेश में लागू किया गया। इसके बावजूद भी रसूख के आगे अवैध कब्जेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने से प्रशासन लाचारी की मुद्रा में दिख रहा है।

मामला गिलौला ब्लॉक के ककंधू गांव का है। इस गांव के दक्षिण चकबंदी के दौरान अनुसूचित जाति की आबादी व नवीन परती आरक्षित की गई थी, ताकि गांव के गरीब और जरूरतमंदों को भूमि आवंटित किया जा सके। इस जमीन पर गांव के ही दबंग लोगों ने अपने रसूख के बल पर अवैध कब्जा कर लिया है। निवर्तमान ग्राम प्रधान का आरोप है कि इस जमीन पर बाले, मालिक, सिपाही, रामकिशुन व विश्राम ने अवैध रूप से फूस का छप्पर रख लिया है। अवैध कब्जे को हटवाने के लिए निवर्तमान ग्राम प्रधान पुष्पा चौधरी ने संपूर्ण समाधान दिवस, समाधान दिवस के साथ एंटी भू-माफिया पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करवाई। नतीजा ढाक के तीन पात रहा। इसी गांव के अजय कुमार व शेष राज त्रिपाठी ने अपनी जमीन को भू-माफियाओं से छुड़वाने के लिए 14 नवंबर 2019 को 2000 रुपये उप कोषागार में जमा करवाया, ताकि हदबरारी से सीमांकन कराकर उन्हें न्याय दिया जा सके। यही नहीं जमीन पर कब्जा पाने के लिए तहसील से लेकर जनसुनवाई पोर्टल का भी सहारा लिया, लेकिन रसूखदार और दबंगों की मिलीभगत से राजस्व टीम भी उन्हीं के सुर में सुर मिला रही है। आज तक गांव में कोई भी राजस्व टीम जमीन से कब्जा हटवाने के लिए नहीं पहुंची। एसडीएम जेपी चौहान का कहना है कि ऐसी कोई बात उनकी जानकारी में नहीं है।


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