नेपाल बार्डर पर बिक रहा सरकारी भूखंड, माफियाओं का बोलबाला
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित तालबघौड़ा में सरकारी अभिलेखों में बंजर भूमि को भू-माफियाओं द्वारा बनाए प्लाट को भारतीय ही नहीं नेपाली भी खरीद रहे हैं।
विजय द्विवेदी, श्रावस्ती
राजस्व विभाग की जमीन हो या निकाय की, इस पर भू-माफियाओं की पैनी नजर लगी हुई हैं। राजस्व विभाग की करोड़ों रुपये की जमीनों को भू-माफिया कब्जा कर बेच रहे हैं।
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित तालबघौड़ा में सरकारी अभिलेखों में बंजर भूमि को भू-माफियाओं द्वारा बनाए प्लाट को भारतीय ही नहीं नेपाली भी खरीद रहे हैं। करोड़ों की जमीन को बेच कर भू-माफिया मालामाल हो रहे हैं तो सरकारी तंत्र लाचारी की मुद्रा में है। ग्रामीणों ने इसकी कई बार शिकायत प्रशासन से किया, लेकिन भू-माफियाओं की धौंस के आगे कानून-कायदा लाचार साबित हो रहा है। निर्माणाधीन कुछ मकान को रोकवा भी दिया गया है। इसके बाद भी सरकारी भूखंड की बिक्री बेखौफ की जा रही है।
नेपाल सीमा पर स्थित सिरसिया ब्लॉक का तालबघौड़ा बाजार का आकार ले चुका है। यह भारत का ही नहीं नेपाल के लोगों का भी मुख्य बाजार है। सीमावर्ती क्षेत्र होने के नाते यहां की जमीन काफी महंगी होना बताया जाता है। इंडो-नेपाल बार्डर पर सड़क किनारे स्थित बंजर भूमि की कीमत तकरीबन चार लाख रुपये बिस्वा बताई जाती है। सरकारी अभिलेखों में दर्ज बंजर की भूमि पर भू-माफियाओं की लगी काली नजर से सरकारी संपत्ति खुर्द-बुर्द होती जा रही है। तालबघौड़ा के रहने वाले इशरार खां, सुबराती खां, नसरुद्दीन, इदरीश, ननकऊ, रियाज खान, दयाराम, रामसुख ही नहीं तकरीबन 50 से अधिक लोगों ने एसडीएम को अर्जी देकर भू-माफियाओं के इस कारनामे को उजागर किया है। आरोप है कि तत्कालीन ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि व क्षेत्रीय लेखपाल की जुगलबंदी से सरकारी भूमि को बेचा जा रहा है। दूसरे देश नेपाल के लोग भी इस जमीन को खरीद कर कब्जा कर रहे हैं। बताया जाता है कि इस जमीन की कीमत तकरीबन चार लाख रुपये प्रति बिस्वा है। हाकिमों की लापरवाही से ग्रामीण नाराज भी हैं। कहते हैं कि 12 दिसंबर व 17 दिसंबर को डीएम को भू-माफियाओं की कारगुजारियों से अवगत कराया गया, लेकिन मौके पर न तो कोई अधिकारी पहुंचा है और न ही कोई कार्रवाई की गई है। निर्माणाधीन दीवार को भी नहीं रोकवाया जा रहा है। भिनगा एसडीएम प्रवेंद्र कुमार बताते हैं कि बंजर भूमि की बिक्री के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। शिकायत पर हो रहे कुछ निर्माण कार्य को रोकवा दिया गया है। जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई कब की जाएगी यह सवाल भी गांव के लोगों के जेहन में कौंध रहा है।