निजी अस्पतालों के प्रति निष्ठावान हो रहे सरकारी डॉक्टर
कोविड में अस्पताल बंद होने का बहाना बता बरगलाते हैं मरीज कमीशन पर तैयार हो रहा नेटवर्क
भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती : पोषण एवं स्वास्थ्य के मामले में बदहाल स्थिति से गुजर रहे श्रावस्ती जिले की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं भी बेपटरी हो रही हैं। आलम यह है कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टर जिला मुख्यालय पर खुले निजी चिकित्सालयों के प्रति अधिक निष्ठावान होते जा रहे हैं। वैश्विक महामारी कोविड-19 में अस्पताल बंद होने का बहाना बताकर मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पताल बुलाया जा रहा है। इस काम के लिए कमीशन के आधार पर नेटवर्क भी तैयार किया जा रहा है।
नीति आयोग की ओर से चयनित महत्वाकंक्षी जिलों में शामिल श्रावस्ती की स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल है। कुपोषण के साथ शिशु एवं मातृ मृत्युदर के मामले में यह जिला सबसे खराब स्थिति में है। बीमार लोगों का इलाज करने के लिए छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अलावा एक संयुक्त जिला चिकित्सालय स्थापित है। यहां लोगों को आसानी से इलाज मिल सके, इसके लिए अस्पतालों को संसाधनों से लैस करने के साथ विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी तैनाती की गई है। कोविड-19 के मद्देनजर लोगों को इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों से सबसे अधिक उम्मीद है। परिस्थितियां प्रतिकूल हैं तो पीड़ितों का सहारा बनने के बजाए चिकित्सक धन उगाही में लगे हैं। गंभीर मरीजों का सरकारी व्यवस्था में इलाज करने के बजाए ऑपरेशन के लिए निजी अस्पतालों में बुलाया जाता है। इस खेल का नेतृत्व संविदा चिकित्सक कर रहे हैं। अस्पताल के कुछ सरकारी डॉक्टर भी इसमें शामिल हैं। जननी सुरक्षा योजना के तहत निश्शुल्क संस्थागत प्रसव के बाद प्रसूताओं को आर्थिक मदद देने का प्राविधान है, लेकिन निजी अस्पतालों में बुलकार ऑपरेशन से प्रसव करवाया जा रहा है। इसके बदले 40 से 50 हजार रूपये तक वसूले जा रहे है। गिलौला निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राजीव कु़मार पांडेय ने बताया कि ऐसी शिकायतें आम होती जा रहीं हैं। खासतौर पर जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सक सरकारी केंद्र के बजाय निजी अस्पताल में इलाज को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके बदले मोटी वसूली भी कर रहे हैं। अच्छा कमीशन का लालच देकर आशा कार्यकर्ताओं को भी इस नेटवर्क से जोड़ लिया गया है। सीसी कैमरे से खुलेगा राज
सिजेरियन प्रसव व अन्य प्रकार के ऑपरेशन के लिए मरीज को बेहोश करना होता है। बेहोशी के डॉक्टर के तौर पर निजी अस्पतालों में कौन सेवाएं दे रहा है, इसका खुलासा करने के लिए यहां लगे सीसी कैमरे का फुटेज देखा जा सकता है। कई मरीजों को हायर सेंटर के नाम पर जिला अस्पताल से रेफर कर दिया जाता है। इसके बाद यहीं के चिकित्सक निजी अस्पताल में मरीज का ऑपरेशन कर देते हैं। वर्जन
संविदा चिकित्सकों को अस्पताल समय के बाद प्राइवेट प्रेक्टिस करने की छूट है, लेकिन अस्पताल से मरीजों को बरगला कर ले जाना और उगाही करना गलत है। यदि कोई सरकारी डॉक्टर निजी अस्पताल में सेवाएं दे रहा है तो यह भी अपराध की श्रेणी में है। जांच करवाकर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।