Ramadan 2020: इबादत में बीता रमजान मुबारक का पहला रोजा, घरों में हुई तरावीह
लखनऊ में रोजेदारों ने घरों में अदा की नमाज तरावीह में हुई काेरोना के खत्म होने की दुआ।
लखनऊ, जेएनएन। दिनभर भूख-प्यास की शिद्दत बर्दाश्त कर रोजेदारों ने अल्लाह की इबादत में माह-ए-रमजान का पहला दिन गुजारा। एक ओर जहां मस्जिदों में सन्नाटा रहा तो घरों में नमाज अदा कर परिवार के साथ लोगों ने रोजा खोला। घरों में महिलाओं ने इफ्तारी की तैयारियों के साथ ही इबादत में भी वक्त लगाया।
बरकतों व रहमतों के इस पाक महीनें के शुरू होने के साथ पुराने शहर का माहौल बदला रहा। शनिवार को पहले रोजे के दिन तरावीह की नमाज में पारे पढ़ाएं गए। वहीं रमजान की चांद रात को तरावीह के नमाज में आयतें पढ़ाई गई थी। शहर-ए-काजी मुफ्ति इरफान मियां ने बताया कि नबी की हदीस में है कि चांद देखकर रोजा रखें, और चांद देखकर ईद मनाएं। इमाम-ए-जुमा मौलाना कल्बे जवाद ने अपील की है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते रमजान-ए-पाक महीने में घर में रहकर कोरोना से समाज को मुक्त करने और अमन की दुआ करें। यह ऐसा वक्त है कि हम सब मिलकर इस महीने में गरीबों और मजलूमों की मदत करें। शरीरिक दूरी बनाकर अल्लाह की इबादत से ही सबकुछ ठीक हो सकेगा।
ऑनलाइन हुई दो पारे की तिलावत
ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली की ओर से पहली बार दो पारे की तिलावत ऑनलाइन करने का निर्णय लिया था। पहले दिन रात्रि आठ बजे से नौ बजे प्रसारण किया गया। इस्लामिक सेेंटर ऑफ इंडिया के फेसबुक एकाउंट पर दो पारों की तिलावत का लाइव प्रसारण हर दिन इसी समय होगा। रोजेदार घर में रहकर शारीरिक दूरी बनाते हुए ऑनलाइन कुरआन पाक के दो पारे सुने और इसके बाद 20 रकआत तरावीह अदा की।
कोरोना का असर दिखे तो रोजा न रखें
सवाल जवाब
सुन्नी
सवाल- अगर कोरोना वाइरस का कुछ असर महसूस हो रहा हो तो रोजे का क्या हुक्म है?
जवाब- अगर कोई मरीज इस हालत में पहुच जाए कि कोरोना का असर उस पर जाहिर होने लगे जैसे लगातार सूखी खांसी व तेज बुखार तो उसको रोजा नही रखना चाहिए और बाद में रोजे की कजा करें।
सवाल- कोरोना वाइरस या अन्य बीमारियों से बचने के लिए शरीअत ने क्या रहनुमाई फरमाई है?
जवाब-रसूल पाक सल्लाह की हिदायत है कि अगर तुम बीमार हो तो डाक्टरों से इलाज कराओ और उनके बताए हुए उपायों पर अमल करो। हदीस शरीफ में है कि कलौंजी में हर बीमारी की दवा मौजूद है। इसलिए इफ्तारी व सहरी के दरमियान कलौंजी का प्रयोग करें।
सवाल- हम को सिर्फ कुरआन शरीफ की दस सूरतें ही याद हैं, तो क्या तरावीह पढ़ सकते हैं?
जवाब-आप को अगर सिर्फ 10 सूरतें ही याद हैं तो पहली 10 रकातों में इन सूरतों को पढ़ें और अगली 10 कातों में उन्हीं सूरतों को दोहरा लें।
सवाल-रोजे की हालत में बुखार जांचने के लिए मुंह में थर्मामीटर लगाया जा सकता है?
जवाब- मुंह में थर्मामीटर लगाया जा सकता है। इसलिए कि इसके जरिये कोई चीज हलक़ में नही जाती।
सवाल-क्या कुरआनी आयतों और जिक्र यानी तस्बीह वगैरा बिना वुजू पढ़ सकते हैं?
जवाब- कुरआनी आयातों और तस्बीह वगैरा बिना वुजू पढ़ सकते हैं, लेकिन कुरआन बिना वुजू छूना जायज नही।
शिया
सवाल-क्या लॉकडाउन की वजह से घर में नमाज जमाअत से हो सकती है?
जवाब-घर में नमाज जमाअत हो सकती है। ।
सवाल-शुगर के के मरीज के लिए लिए रोजे का क्या हुक्म है?
जवाब-अगर शुगर के मरीज के लिए रोजा रखना नुकसानदेय नहीं है तो रोजा रखा सकता है।
सवाल- रोजा रखते हुए शुगर चेक करवाएं तो क्या रोजा टूट जाएगा?
जवाब-अगर रोजेदार शुगर ही नहीं किसी भी तरह की खून की जांच करवाए, लेकिन रोजा नही टूटेगा।
सवाल-रोजों के अनिवार्य होने का हुक्म कुरआन पाक में किस जगह पर मौजूद है?
जवाब-खुदा ने अपनी किताब कुरआन के दूसरे सूरह में रोजों के अनिवार्य होने का हुक्म दिया है।
सवाल-अगर कोई रोजाना सफर करता है तो कारोबार ओर नौकरी के लिए क्या हुक्म है?
जवाब-जो व्यक्ति ज्यादातर सफर करता हो वह सफर में रोजा रख सकता है।
पूछें सवालों के जवाब
शिया समुदाय सुबह 10 से मध्याह्न 12 बजे के बीच आयतुल्ला अल उजमा सैयद सादिक हुसैनी शिराजी से हेल्पलाइन नंबर 9839097407, 9415580936 व 9335280700 पर फोन कर सवाल पूछ सकते हैं।
सुन्नी समुदाय दोपहर दो से शाम चार बजे के बीच इस्लामिक सेंटर आफ इंडिया के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली से हेल्पलाइन नंबर, 9415023970, 9335929670, 9415102947 व 9236064987 पर फोन कर जवाब हासिल कर सकते हैं।