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बाढ़ ने किसानों के अरमानों पर फेरा पानी

बेबस निगाहों से खेत में फसल नष्ट होता देख रहे अन्नदाता बेमौसम बरसात से चारों ओर मची तबाही मुआवजे की कर रहे मांग

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 10:23 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 10:23 PM (IST)
बाढ़ ने किसानों के अरमानों पर फेरा पानी
बाढ़ ने किसानों के अरमानों पर फेरा पानी

श्रावस्ती : फसल की कटाई के लिए मुफीद समय पर हुई बारिश व पहाड़ों पर बरसात का पानी आने से राप्ती नदी का जलस्तर बढ़ गया। इससे जमुनहा, भिनगा व इकौना तहसील क्षेत्र में लगातार बाढ़ की स्थित बनी हुई है। बेमौसम बरसात से चारों ओर तबाही मची है। खेतों में पकी खड़ी धान की फसल बर्बाद हो रही है। भिनगा-मल्हीपुर मार्ग पर सर्रा, ओरीपुरवा व मजगवां गांव के पास सड़क पर पानी भर जाने से रास्ते पर आवागमन बंद है।

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बुधवार रात आठ बजे नदी का जलस्तर 128.45 सेमी पर पहुंच गया। नदी खतरे के निशान 127.70 सेमी से 75 सेमी ऊपर थी। बाढ़ के चलते दूर-दूर तक खेत जलमग्न नजर आ रहे हैं। फसल की दुर्दशा देख किसानों की आंखें डबडबाई हुई हैं। प्रकृति के कोप से सबकुछ तबाह होता दिख रहा है। अच्छे उत्पादन की आस में घर के उन्नति का मन बनाएं बैठे किसान फसल की दुर्दशा देख भोजन का संकट कैसे दूर करेंगे इस चिता में व्याकुल हैं।

इन क्षेत्रों में हुआ अधिक नुकसान

जमुनहा तहसील के पिपरहवा, बलुहा, हरिहरपुर, शिकारीचौड़ा, वीरपुर, लौकिहा, बरंगा, सर्रा, भौसाव, मिश्रपुरवा, नरायनपुरवा, जोगिया, भलुहिया, लक्ष्मनपुर सेमरहनिया, धोबिहा, शमशेरगढ़, परसिया, नीबाभारी, भवानीनगर, लखाहीखास, भिनगा तहसील क्षेत्र में सुल्ताना, चहलवा, पटना खरगौरा, अशरफा, शाहपुर, अतरपारी, अनवरपुरवा, जिगरिया, टिकुईया, शिवगढ़, जयनगरा, सर्रा, भुड़कुलवा, उतामपुर, संगमपुरवा, ओरिपुरवा, नगईपुरवा, चमारनपुरवा, मनकापुर, रेहरापुरवा, मजगंवा, तिलकपुर, रेवलिया, हसनापुर व इकौना तहसील क्षेत्र के मोहनापुर, दुलाहिया, रमनगरा, पकड़िया, प्रहलादा, कठौतिया समेत आसपास के गांवों में बड़ी संख्या में किसान प्रकृति के कोप से प्रभावित हुए हैं।

रातोरात छिन गया निवाला

इकौना के दुलहिया निवासी छांगुर ने बताया कि खेत में पकी खड़ी धान की फसल पानी भर जाने से बर्बाद हो रही है। दूर-दूर तक सिर्फ बाढ़ का पानी नजर आ रहा है। अखिलेशचंद्र ने बताया कि इस बार बच्चों का पेट भरने भर का अनाज भी मिल पाना मुश्किल है। रामहित व मालती देवी ने बताया कि धान की फसल काट कर खेत में लगा दिया था। मड़ाई की व्यवस्था की जा रही थी, लेकिन रात में अचानक आई बाढ़ ने मुंह का निवाला छीन लिया। इसी प्रकार शिव प्रसाद, विनय, दयाराम, सियाराम, सालिकराम समेत अन्य किसान भी फसल बर्बाद हो जाने से व्यथित दिखे।


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