पंजीकरण के बाद सत्यापन बना धान बिक्री के राह का रोड़ा
श्रावस्ती : सरकारी क्रय केंद्रों पर किसानों की उपज बिक्री की प्रक्रिया प्रशासनिक व्यवस्था में उलझ गई
श्रावस्ती : सरकारी क्रय केंद्रों पर किसानों की उपज बिक्री की प्रक्रिया प्रशासनिक व्यवस्था में उलझ गई है। धान की बिक्री सुनिश्चित कराने के लिए इस बार ग्राम पंचायतों को अलग-अलग केंद्रों से संबंद्ध कर दिया गया है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होने के बाद संबंधित एसडीएम की ओर से गाटा संख्या का सत्यापन करना होता है। सत्यापन के बाद रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी होती है। अभिलेख प्रिंट करवाकर इसे केंद्र प्रभारी के पास जमा कर किसान को अपनी उपज बेचने के लिए निर्धारित तिथि व समय का टोकेन लेना होता है। सचिवों की हड़ताल से केंद्रों पर खरीद पहले से ठप है। एसडीएम स्तर पर सत्यापन की प्रक्रिया लंबित होने से किसानों को टोकेन भी नहीं मिल पा रहा है। धान की मड़ाई के बाद किसानों ने अपने घर के आंगन अथवा छत पर उपज रखी है। मौसम का मिजाज बदल रहा है। ऐसे में बारिश हुई तो किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। कम दिखा रहे उपज
हरिहरपुररानी ब्लॉक के पटना खरगौरा गांव निवासी किसान हेमराज जायसवाल, अरविंद कुमार पांडेय, गोठवा के रामकुमार तिवारी, उदईपुर के यशोदानंदन शुक्ला आदि ने बताया कि क्रय नीति के तहत प्रति बीघा दो क्विंटल से अधिक धान की बिक्री की जा सकती है, लेकिन सत्यापन के दौरान लेखपाल की ओर से रकबे के अनुपात में बेची जाने वाली कुल मात्रा को कम सत्यापित कर दर्शाया जा रहा है। इस वर्ष धान की उपज अच्छी होने से क्रय नीति में निर्धारित की गई मात्रा पहले से कम है। इसमें लेखपाल की ओर से और कटौती करना किसानों को परेशान करने जैसा है। प्राथमिकता के आधार पर सत्यापन करवाया जाता है। अब तक हुए आवेदनों में से 90 फीसदी से अधिक का सत्यापन करवाया जा चुका है। कुछ शेष बचे होंगे तो उनका भी शीघ्र सत्यापन करवा दिया जाएगा। जो पंजीकरण देर से होते हैं वे वेबसाइट पर भी देर से दिखते हैं। ऐसे में सत्यापन में कभी-कभार थोड़ी देरी हो जाती है।
चंद्रमोहन गर्ग, एसडीएम भिनगा