सयानों के मकड़जाल में फंस कर रह गया आवास का निर्माण
महिला का जॉबकार्ड तो बना लेकिन नहीं मिला काम खुले आसमान के नीचे रह रहा परिवार
संसू, सोनवा(श्रावस्ती) : महिलाओं के उत्थान व सुरक्षा के लिए चारों ओर शोर मचा है, लेकिन हकीकत धरातल पर कुछ और है। जमुनहा ब्लॉक के चौगोई गांव की रहने वाली फुलकोरा पंचायत व नौकरशाही के अनदेखी की मिशाल बनी हुई है। छह साल पहले मिला लोहिया आवास सयानों के मकड़जाल में फंसकर अधूरा पड़ा हुआ है।
जमुनहा ब्लॉक के चौंगोई गांव की 50 वर्षीय फुलकोरा के पति सियाराम की छह साल पहले मौत हो गई। उसके बाद आज तक न तो विधवा पेंशन मिल पाया और न ही राशनकार्ड बन सका है। पति की मौत के समय महिला के दो पुत्र व एक पुत्री थी। भूमिहीन होने के कारण महिला अपने परिवार का पालन-पोषण मजदूरी मेहनत करके कर रही है। मनरेगा का जॉबकार्ड बना है, लेकिन आज तक उसे काम नहीं मिल सका। लॉकडाउन में भी काम न मिल पाने से उसे खाने के लिए दोजून की रोटी जुटा पाना मुश्किल हो रहा है। ग्राम पंचायत के ठेकेदारी प्रथा की शिकार हो चुकी फुलकोरा का आशियाना भी अधूरा रह गया। वर्ष 2013-14 में लोहिया आवास योजना के तहत फुलकोरा को आवास का चयन हुआ। फुलकोरा बताती है कि उसके खाते में 50 हजार रुपये की एक किस्त आहरित हुई, लेकिन तत्कालीन प्रधान प्रतिनिधि सरवर व शमसाद ने बैंक पर ही पूरा पैसा निकलवा कर ले लिया। इसके एवज में फुलकोरा को ईंट, बालू, सरिया, सीमेंट देने को कहा गया। छह वर्ष हो गए इस ठेकेदारी प्रथा से घर की पांच फिट दीवार ही उठ पाई। अगली किस्त न आने से अधूरे घर को निहारते हुए फुलकोरा बताती है कि चाहे ठंड की बर्फीली हवा हो या बरसात खुले आसमान के नीचे किसी तरह गुजर हो रहा है। इनसेट
मैं वर्ष 2019 से यहां तैनात हूं। मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। यदि शिकायत मेरे पास आएगी तो जांच कराई जाएगी। सरकारी धन का दुरुपयोग करने वाले पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
-जितेंद्र नाथ दूबे, बीडीओ, जमुनहा।