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सामाजिक समरसता के प्रतीक पुंज थे महर्षि वाल्मीकि

संसू बहराइच शनिवार को सामाजिक समरसता के प्रतीक महर्षि वाल्मीकि जयंती धूमधाम से मनाई गइ

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 11:17 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 11:17 PM (IST)
सामाजिक समरसता के प्रतीक पुंज थे महर्षि वाल्मीकि
सामाजिक समरसता के प्रतीक पुंज थे महर्षि वाल्मीकि

संसू, बहराइच : शनिवार को सामाजिक समरसता के प्रतीक महर्षि वाल्मीकि जयंती धूमधाम से मनाई गई। सरकारी तंत्र के ओर से विधि-विधान से पूजन-अर्चन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। रामजानकी मंदिर में अनुष्ठान का आयोजन किया गया। आचार्यों ने वेद ऋचाएं पढ़ी। संस्कृत के श्लोकों से शहर गूंजता रहा। डीएम शंभु कुमार ने यजमान बनकर रामजानकी मंदिर में अनुष्ठान किया। कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन किया। डीएम ने कहा कि महर्षि के पदचिह्नों पर चलने से हमारी सांस्कृतिक विरासत मजबूत होगी और समाज को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरणा प्राप्त होगी। महर्षि वाल्मीकि सामाजिक समरसता के प्रतीक थे। उनकी रामायण आदर्श सामाजिक संरचना का मानक प्रस्तुत करता है। ऐसे आयोजनों से हम अपने गौरवशाली परंपरा को स्थापित करते हैं। इंटर कॉलेजों में वाल्मीकि जयंती पर रामायण का पाठ किया गया।

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विशेश्वरगंज क्षेत्र के श्रीबालाजी मंदिर में, पयागपुर में पंचायत मंदिर, शिवपुर में श्रीरामजानकी मंदिर, कैसरगंज में हनुमान मंदिर, तेजवापुर में श्रीनिरंकारेश्वर मंदिर, फखरपुर में श्रीहनुमान मंदिर, हुजूरपुर में श्रीहनुमान मंदिर व मिहींपुरवा में श्रीरामजानकी मंदिर में भजन कीर्तन का आयोजन किया गया। एडीएम जयचंद्र पांडेय, सीआरओ प्रदीप कुमार यादव, डीआइओएस राजेंद्र कुमार पांडेय, जनता राहत इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. दीनबंधु शुक्ल मौजूद रहे।

सपा कार्यालय पर महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई गई। उनके चित्र पर माल्यार्पण कर कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया। जफर उल्ला खां बंटी, अब्दुल मन्नान, अजीत सिंह, संत कुमार व अन्य मौजूद रहे।

--------------------- आरएसएस ने मनाई जयंती, बांटा प्रसाद

-राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाई। शहर के पानी टंकी चौराहे पर स्टाल लगाकर प्रसाद वितरित किया। नगर प्रचारक प्रवीण ने कहा कि लौकिक साहित्य में प्रथम महाकाव्य के रूप में वाल्मीकि रामायण भारत के इतिहास में महाकाव्य के रूप में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के उदात्त चरित्र को चरितार्थ किया है। कहा, तमसा नदी के किनारे तपस्या रत सारस पक्षी के जोड़े में एक को बहेलिया के मारने पर मादा पक्षी के विलाप से द्रवित हो महर्षि वाल्मीकि का शोक श्लोक के रूप में परिणित हो गया। महाकाव्य 24 हजार श्लोकों से समन्वित है। महर्षि वाल्मीकि समता, ममता, समरसता के प्रतीक हैं। अर्जुन कुमार दिलीप, डॉ. देवेंद्र उपाध्याय, रमेश कुमार, अतुल गौड़, मुकुट बिहारी तिवारी, शिवपाल शुक्ल, पुष्पम, अमन, धनंजय, विकास, हिमांशु, सूरज, सौरभ, अभिषेक, नीरज मौजूद रहे।


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