कागजों में लबालब जलाशय, खेत रह गए प्यासे
खैरमान जलाशय के सिल्ट की नहीं हुई सफाई निजी संसाधनों से सिचाई करने को मजबूर किसान
बलरामपुर : तराई क्षेत्र के सोहेलवा जंगल में स्थित खैरमान जलाशय के सूख जाने से किसानों के खेतों की प्यास नहीं बुझ पा रही है। सरकारी अभिलेख में जलाशय लबालब है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि सिल्ट जमा होने से माइनरों तक बूंद भर पानी नहीं पहुंच रहा है। जलाशय से निकले माइनर बदहाल हैं। माइनर की आधी-अधूरी सफाई कर सरकारी धन का बंदरबांट हो जाता है, लेकिन किसानों को उसका लाभ नहीं मिलता है। ऐसे में, किसानों को अपने खेतों के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है जिससे उनकी फसलें सूख जाती हैं। नेपाल से निकलने वाले पानी को संचित करने के लिए खैरमान जलाशय का निर्माण किया गया था। इस जलाशय के पानी से जंगली जानवर भी अपनी प्यास बुझाते, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता से जलाशय बदहाल हो गया।
सिचाई के अभाव में सूख रही फसलें :
उदईपुर गांव के किसान ओमप्रकाश, तिलकराम मिश्र, राकेश श्रीवास्तव, श्याम मनोहर, राधेश्याम ने बताया कि खैरमान जलाशय के सूख जाने से किसानों के खेतों की सिचाई नही हो पा रही है। इससे खेत में लगी फसलें सूख रही हैं। निजी साधन से फसलों की सिचाई हो रही है। सहजराम वर्मा, जनार्दन, छोटेलाल ने बताया कि पानी बहाव के लिए बने माइनरों के नाली व कुलाबें बदहाल हैं। जलाशय के सिल्ट की कई वर्ष से सफाई नहीं हुई है।
जिम्मेदार के बोल :
- अपर जिलाधिकारी अरुण कुमार शुक्ल ने बताया कि संबंधित विभाग को जलाशय की सिल्ट सफाई कराकर पानी भरने के लिए पत्र लिख गया है। शीघ्र ही खेतों तक पानी पहुंचने लगेगा।