बदले इरादे, टूटी प्रथा और मिली आजादी
राजीव गुप्ता श्रावस्ती वहां अज्ञानता के अंधेरे में जागरूकता का प्रकाश फैल रहा है। नई पीढ़
राजीव गुप्ता, श्रावस्ती : वहां अज्ञानता के अंधेरे में जागरूकता का प्रकाश फैल रहा है। नई पीढ़ी इस रोशनी से चमक रही है, लेकिन पुराने ख्यालातों के लोग आज भी रूढि़यों की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं। 14 वर्ष की गुड़िया दो साल पहले बाल विवाह की प्रथा की जंजीरो में बांधी जा रही थी, पर बिटिया ने अपने इरादे बदल लिए और पिता के निर्णय का डटकर विरोध किया। फिर वर्षो पुरानी ये प्रथा टूट गई और उसे कुरीति से आजादी मिल गई। अब वह यूनिसेफ से जुड़ी वंदना के साथ गांव में बाल विवाह रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है।
गिलौला ब्लॉक के रानीपुर काजी गांव में यूं तो तमाम लोगों का बाल विवाह हुआ है। किसी ने बेटे तो किसी ने बेटी का बाल विवाह किया। कोई बालिका वधू ब्याह लाया। किसी किशोर के मांगलिक कार्यक्रम में गुड़िया जाती तो व्यथित हो जाती। उसका मन उसे झकझोरता। वह सोचती कि बड़ी होकर इसके खिलाफ आवाज मुखर करेगी, पर उसे क्या पता उसकी जुबां खुलने से पहले दबने लगेगी। पिता राम किशुन ने बालिका का विवाह तय किया तो उसकी उम्मीदों को झटका लगा, पर उसने इस निर्णय की खिलाफत की। पिता नहीं माने तो बुआ निराला से बात की। निराला भी बालिका वधू बनी थी। उन्हें बिटिया का दर्द पता था। फिर उन्होंने अपने भाई राम किशुन से बात की और समझाया कि उनका फैसला उचित नहीं है। आखिर राम किशुन को लगा कि वो गलत है। फिर उन्होंने बात मान ली।
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पढ़ाई के साथ चला रही अभियान :
अब गुड़िया कक्षा नौ में पढ़ रही है और इस कुरीति के खिलाफ आवाज भी उठा रही है। गांव की वंदना के साथ वह इस बारे में अभियान चला लोगों को जागरूक कर रही है। उसके प्रयासों से रानीपुर काजी में बाल विवाह के प्रति लोगों की धारणा बदल रही है।