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सुहेलदेव वन्य जीव विहार में बसेगा पक्षियों का अद्भुत संसार

हनुमान सोनी, सिरसिया (श्रावस्ती): हिमालय की तलहटी में स्थित सुहेल देव वन्य जीव विहार के पूर्वी व

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 10:47 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 10:47 PM (IST)
सुहेलदेव वन्य जीव विहार में बसेगा पक्षियों का अद्भुत संसार
सुहेलदेव वन्य जीव विहार में बसेगा पक्षियों का अद्भुत संसार

हनुमान सोनी, सिरसिया (श्रावस्ती): हिमालय की तलहटी में स्थित सुहेल देव वन्य जीव विहार के पूर्वी व पश्चिमी सोहेलवा जंगल में पक्षियों का अद्भुत संसार बसाया जाएगा। ठंड में यहां आने वाले मेहमान पक्षियों को यहीं रोक कर रखने के लिए सुरक्षित व अनुकूल माहौल बनाने की तैयारी है। इस दिशा में ठोस पहल करने के लिए पक्षी प्रेमियों व स्वयंसेवी संगठनों की मदद ली जा रही है।

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भारत-नेपाल सीमा पर कुल 452 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में सुहेलदेव वन्य जीव विहार स्थित है। सात वन क्षेत्रों में विभक्त इस संरक्षित वन्यजीव विहार का पूर्वी व पश्चिमी सोहेलवा जंगल श्रावस्ती जिले के क्षेत्र में आता है। 177 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में पसरे पूर्वी व पश्चिमी सोहेलवा जंगल में बड़ी संख्या में दुर्लभ प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं। इसके रजिया ताल, वन घोघवा, रामपुर व मोतीपुर जलाशय में प्रत्येक वर्ष सर्दियों के मौसम में बड़ी तादाद में मेहमान पक्षी आते हैं। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार सोहेलवा वन्य क्षेत्र पक्षियों का प्रमुख भोज्य स्थल है। यहां उनके भोजन के लिए आवश्यक सामग्रियां प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं। इस सबके बीच मेहमान पक्षियों की सुरक्षा हमेशा से सवालों के घेरे में रही है। ईको विकास समिति व व‌र्ल्ड गाइड के अलावा वन क्षेत्र से सटे गांव की मदद से यहा पक्षियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। पक्षी विशेषज्ञ, लेखक व वाइल्ड लाइफ पर फिल्म बनाने वाले टोवी श्रृंखलेयर ने भी शुक्रवार को एसडीएम भिनगा चंद्रमोहन गर्ग व ईको विकास समिति की संरक्षक निहारिका सिंह के साथ सोहेलवा जंगल का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने भी यहां व्याप्त पक्षियों के अद्भुत संसार का वर्णन किया। मेहमान पक्षियों के स्थाई प्रवास पर खुलकर चर्चा करते हुए उन्होंने सोहेलवा जंगल को पक्षियों के लिए सबसे उपयुक्त बताया। डीएम दीपक मीणा ने बताया कि सुहेलदेव वन्य जीव विहार को पक्षी विहार बनाने की दिशा में तेजी से प्रयास शुरू किए गए हैं। इस काम को गति देने के लिए एसडीएम प्रत्येक माह स्थानीय लोगों के साथ बैठक करेंगे। जंगल में लोगों का प्रवेश पूरी तरह निषेध है। अवैध कटान अथवा शिकार पाए जाने पर कठोर कार्रवाई होगी।


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