नागरिकों के धैर्य का इम्तिहान ले रहा प्रशासन!
छह माह बाद भी नहीं बना टूटा पुल 12 किमी का चक्कर काट रहे लोग
अरविद शुक्ला, श्रावस्ती : जिला प्रशासन को शायद जनसमस्याएं दिखाई ही नहीं पड़ती हैं या यूं कहें कि जिम्मेदार अमला परेशान हाल लोगों की ओर ध्यान ही नहीं देना चाहता है या फिर वह नागरिकों के धैर्य की परीक्षा ले रहा है। इस बात की पुष्टि यहां पड़ी जनसमस्याएं खुद ही कर रही हैं। यदि आप गिलौला क्षेत्र के भ्रमण पर निकल जाएं तो छह महीने से टूटा पड़ा पुल नागरिकों की सब्र का इम्तिहान ले रहा है। अगर इस पुल का निर्माण हो जाय तो गिलौला से सीधे बहराइच-गोंडा मार्ग से जुड़ जाएगा, लेकिन किसी की जिज्ञासा पुल निर्माण कराने को नहीं दिख रही है।
गिलौला-खुटेहना मार्ग पर पांच सौ मीटर दूर स्थित सरयू नहर पर बना पुल छह माह पहले पानी के तेज बहाव से टूट गया था। विभाग के अनुसार इस पुल का निर्माण 40 वर्ष पूर्व कराया गया था। पुल टूटा तो पूरे प्रशासनिक अमले व सत्तारूढ़ दल के नेताओं में हलचल मच गई। श्रावस्ती विधायक रामफेरन पांडेय मौके पर पहुंचे। पुल निर्माण का आश्वासन दिया। पूर्व सांसद दद्दन मिश्रा ने भी मौके पर पहुंच कर लोगों को ढाढस दिलाया। जिलाधिकारी टीके शिबु ने भी प्रशासनिक अमले के साथ टूटे पुल का निरीक्षण किया। लग रहा था कि पुल तत्काल बन जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पुल टूट जाने से गिलौला-खुटेहना मार्ग पर आवागमन अवरुद्ध हो गया। पैदल यात्री तो किसी तरह निकल जाते हैं, लेकिन वाहन सवार लोगों को 10-12 किमी का चक्कर लगाकर जाना पड़ रहा है। टूटे पड़े पुल से चंद्रावा, रानीपुर काजी, मसढ़ी, दंदौली, सेवढ़ा, थवई, बलगर सिंह पुरवा समेत दो दर्जन से अधिक गांवों की तकरीबन दो लाख की आबादी प्रभावित तो हो ही रही है। साथ ही इस मार्ग पर आने-जाने वाले बहराइच, गोंडा, श्रावस्ती व बलरामपुर के लोगों को भी तकलीफें झेलनी पड़ रही हैं। इन सबके बावजूद जनप्रतिनिधि और प्रशासन पुल निर्माण को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है। सरयू नहर खंड प्रथम बलरामपुर के अवर अभियंता हारुन बताते हैं कि पुल निर्माण डेंटर प्रक्रिया में है। चार करोड़ का स्टीमेट बना है। एक महीने के अंदर पुल का निर्माण शुरू हो जाएगा।