साढ़े चार लाख बच्चों को लगेगा मिजिल्स रूबैला का टीका
श्रावस्ती : खसरा व रूबैला की बीमारी पर प्रभावी रोकथाम लगाने के लिए 26 नवंबर से विशेष टीकाकर
श्रावस्ती : खसरा व रूबैला की बीमारी पर प्रभावी रोकथाम लगाने के लिए 26 नवंबर से विशेष टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा। इसके तहत नौ माह से 15 साल तक की आयु वर्ग के बच्चों को टीके लगाए जाएंगे। पहले चरण में शत-प्रतिशत बच्चों को आच्छादित करने के बाद इस टीके को सामान्य टीकाकरण अभियान में शामिल कर लिया जाएगा। शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में सीडीओ अवनीश राय ने अभियान की सफलता के लिए की गई तैयारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
सीडीओ ने बताया कि इस अभियान के तहत निर्धारित आयु वर्ग के कुल चार लाख 48 हजार 897 बच्चे जिले में चिंहित किए गए हैं। इन बच्चों का शत-प्रतिशत टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया है। 26 नवंबर से अभियान की शुरुआत होने के बाद सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीके लगाए जाएंगे। इसके अलावा ग्रामीण अंचलों में एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की टीम चलेगी। टीकाकरण का काम एएनएम करेंगी। स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंच कर टीम बच्चों को टीका लगाएगी। शतप्रतिशत केंद्रों तक पहुंचने के बाद गांवों में कैंप लगाकर भी टीकाकरण किया जाएगा। सीडीओ ने बताया कि मिजिल्स व रूबैला संक्रामक बीमारी है। इसे जड़ से समाप्त किया जा सके, इसके लिए अभिभावकों को भी जागरूक होकर पहल करने की जरूरत है। सीडीओ ने बताया कि यदि किसी बच्चे को पहले टीका लग चुका है तो अभिभावक उसे दोबारा टीका लगवा सकते हैं। इसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है। इस मौके पर एडीएम योगानंद पांडेय भी मौजूद रहे।
हर साल दिव्यांगता से बचेंगे 200 बच्चे
-जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. मुकेश मातनहेलिया ने बताया कि मिजिल्स-रूबैला का टीकाकरण अभियान सफल होने के बाद बच्चों में होने वाली दिव्यांगता पर पूरी तरह काबू पा लिया जाएगा। यह बीमारी समाप्त हुई तो प्रत्येक वर्ष जिले में 150 से 200 बच्चे दिव्यांग होने से बचाए जा सकेंगे।
जानें बीमारी का लक्षण
-एडीएम योगानंद पांडेय ने बताया कि खसरा जानलेवा रोग है। यह वायरस से फैलता है। इससे बच्चों में दिव्यांगता तथा असमय मृत्यु की संभावना बनी रहती है। इसी प्रकार रूबैला भी संक्रामक बीमारी है। इसके लक्षण भी खसरा जैसे होते हैं। शरीर में दाने निकलना, आंख लाल होना आदि बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। यदि कोई महिला गर्भावस्था के शुरुआती चरण में इससे संक्रमित हो जाए तो यह बीमारी उसके भ्रूण व नवजात शिशु के लिए भी घातक होगी।