Move to Jagran APP

जुमा अलविदा: संक्रमण के मद्देनजर घरों में अदा की नमाज

कोविड संक्रमण के चलते जुमा अलविदा के अवसर पर अकीदतमंदों ने एहतियात बरती। अधिकांश लोगों ने अपने घरों में ही नमाज अदा की। पुलिस भी इस मौके पर कोविड गाइडलाइन का पालन कराने के लिए मस्जिदों के आसपास तैनात रही।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 11:31 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 11:31 PM (IST)
जुमा अलविदा: संक्रमण के मद्देनजर घरों में अदा की नमाज
जुमा अलविदा: संक्रमण के मद्देनजर घरों में अदा की नमाज

शामली, जागरण टीम। कोविड संक्रमण के चलते जुमा अलविदा के अवसर पर अकीदतमंदों ने एहतियात बरती। अधिकांश लोगों ने अपने घरों में ही नमाज अदा की। पुलिस भी इस मौके पर कोविड गाइडलाइन का पालन कराने के लिए मस्जिदों के आसपास तैनात रही।

loksabha election banner

कोविड संक्रमण से बचाव के लिए शासन ने धार्मिक स्थलों में एक बार में पांच लोगों को ही पूजा-इबादत करने की अनुमति दी है। इसका पुलिस और प्रशासन पालन करा रहा है। मंदिरों में अधिकांश तौर पर ताले लगे है। पुजारी ही पूजा करने के लिए आते है। मस्जिदों में भी ऐसा ही चल रहा है। शुक्रवार को पवित्र रमजान माह का अलविदा जुमा था। इसका मुस्लिम समुदाय में विशेष महत्व है। इसके बावजूद भी अधिकांश लोगों ने अपने घरों में ही नमाज अदा की, जो इक्का दुक्का व्यक्ति मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए पहुंचा उसने मास्क लगाया था। शारीरिक दूरी का पालन कर नमाज अता हुई। उधर, कोविड गाइड लाइन का पालन कराने के लिए पुलिस मस्जिदों के आसपास तैनात रही। नगर कोतवाली शामली प्रभारी सत्य पाल सिंह ने बताया कि सभी मस्जिदों में चार-पांच लोगों ने ही नमाज अता की। कहीं पर भी भीड़ नहीं मिली।

कुरआन रटने नहीं समझने के लिए नाजिल किया : हाफिज मुहम्मद

संवाद सूत्र, कैराना : खारा कुआं मस्जिद के नायब इमाम हाफिज मुहम्मद ने रम•ान में पढ़ी जाने वाली नमा•ा तरावीह के संबंध में बात करते हुए बताया कि रम•ान की तरावीह दरअसल कुरआन के सामुदायिक अध्ययन की ही एक शक्ल है।

हाफिज मुहम्मद ने कहा कि तरावीह का मक़सद यह है कि लोग मिलकर सामुदायिक तौर पर कुरआन का अध्ययन करें और इसकी आयतों पर विचार करें। हाफिज का कहना है कि तरावीह में एक बार कुरआन खत्म कर लेना ही काफी नहीं है बल्कि •ारूरी है कि लोग तरावीह में पढ़े जाने वाली कुरआन की आयतों को समझें, इनपर विचार करें और आपस में इन आयतों पर चर्चा करें। हाफिज मुहम्मद ने बताया कि ऐसा करके ही तरावीह के सच्चे अर्थ को पाया जा सकता है। हाफिज मुहम्मद ने कहा कि बाकिस्मती की बात यह है कि इस •ामाने में कुरआन सिफऱ् एक रटी जाने वाली किताब बनकर रह गई है। हालांकि अल्लाह ने कुरआन को केवल रटने के लिए नहीं बल्कि समझने के लिए नाजिल किया था। उन्होंने सभी मुस्लिमों से अपील की कि वे कुरआन को समझकर पढ़ें। उन्होंने कहा कि कुरआन का अपनी मातृभाषा में अनुवाद हर मुस्लिम के पास होना चाहिए ताकि वह कुरआन की आयतों पर विचार करें और इन्हें समझकर पढ़ें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.