खतरे से ऊपर ही बह रही यमुना, हजारों बीघा फसलें तबाह
यमुना अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और खादर क्षेत्र में फसलों को भारी नुकसान हुआ है। मंगलवार सुबह दस बजे जलस्तर 232.20 मीटर तक पहुंचा जो सर्वाधिक रहा। खतरे का निशान 231.50 मीटर है और शाम छह बजे तक यमुना 231.95 मीटर पर बह रही थी।
शामली, जेएनएन। यमुना अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और खादर क्षेत्र में फसलों को भारी नुकसान हुआ है। मंगलवार सुबह दस बजे जलस्तर 232.20 मीटर तक पहुंचा, जो सर्वाधिक रहा। खतरे का निशान 231.50 मीटर है और शाम छह बजे तक यमुना 231.95 मीटर पर बह रही थी। ऐसे में प्रशासन बाढ़ के खतरे को लेकर अलर्ट है और तटबंधों की स्थिति का लगातार जायजा लिया जा रहा है। बुधवार सुबह तक जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आने की उम्मीद है।
हिमाचल और उत्तराखंड में पिछले दिनों हुई भारी बारिश के चलते शनिवार रात से लेकर रविवार रात तक यमुना में लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। सोमवार रात करीब साढ़े सात बजे यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 231.50 मीटर को पार गया था। उफनाई यमुना से तटबंध तक पानी-पानी पहुंच गया और किसानों की हजारों बीघा फसलें तबाह हो चुकी हैं। कैराना खादर क्षेत्र के गांव हैदरपुर, रामड़ा, नंगलाराई, मामौर, बसेड़ा, मोहम्मदपुर राई, इस्सोपुर खुरगान, मंडावर आदि यमुना खादर इलाके में किसानों की चेरी, धान, मिर्ची की फसल नष्ट हो गई है। खेतों में दूर-दूर तक पानी ही पानी नजर आ रहा है। फसल तबाह होने किसानों के अरमान भी डूब गए हैं। वहीं, पूरी रात प्रशासनिक, सिचाई विभाग और ड्रेनेज खंड के अधिकारी फील्ड में रहे। तटबंध में हुए कटाव को रोकने के लिए जद्दोजहद चलती रही। एक जगह से कटाव को रोकते तो दूसरी जगह से कटाव की खबर मिलती। ड्रेनेज खंड शामली के सहायक अभियंता ओमकार सिंह ने बताया कि फसलों को ही नुकसान हुआ है। आबादी में कहीं भी पानी नहीं घुसा है। अब पानी कम हो रहा है। साथ ही हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा भी काफी कम हो गई है।
झुग्गी-झोंपड़ी भी पानी में बही
किसान खेतों पर फसल की देखभाल के लिए वहां पर झुग्गी-झोपड़ी डालकर पहरेदारी करते हैं। ऐसे भी किसान है कि जिन के खेतों पर एक कमरा तक भी नहीं बना। ऐसे में यमुना का पानी उनकी झुग्गी-झोपड़ियों को भी बहा ले गया है। कुछ किसानों के खेतों पर बने ट्यूबवेल के कमरे में पानी से लबालब है। वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि किसान पानी के कारण अपने खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
इस नुकसान की कैसे हो भरपाई
वर्ष 2013 में भी किसानों को भारी नुकसान हुआ था और तब भी कोई मुआवजा आदि नहीं मिला था। बरसात के सीजन में इस बार यमुना शांत ही थी और किसानों को उम्मीद थी कि फसल अच्छी होगी और इसे बेचकर कुछ आमदनी होगी। यमुना के रौद्र रूप से किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। हैदरपुर निवासी विकास कुमार, रणवीर सिंह का कहना है कि खेती पर ही आजीविका निर्भर है। यमुना ने पूरी फसल तबाह कर दी है और अब चिता सता रही है कि कैसे आजीविका चलेगी। सरकार से मांग है कि नुकसान की भरपाई के लिए ऊचित मुआवजा दिया जाए।
काफी कम पानी छोड़ा जा रहा
यमुना में हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा अब बेहद कम हो गई। मंगलवार दोपहर तीन बजे 19002 क्यूसेक पानी छोड़ा है, जबकि रविवार शाम छह बजे करीब साढ़े आठ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा था।