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भगवान परीक्षा से नहीं प्रतीक्षा से मिलते हैं

संत प्रवर विजय कौशल महाराज ने कहा कि भगवान के चरणों की वंदना करनी चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 10:38 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 06:15 AM (IST)
भगवान परीक्षा से नहीं प्रतीक्षा से मिलते हैं
भगवान परीक्षा से नहीं प्रतीक्षा से मिलते हैं

शामली, जेएनएन। संत प्रवर विजय कौशल महाराज ने कहा कि भगवान के चरणों की वंदना करनी चाहिए। आधुनिक काल में दीन-हीन, भूखे-नंगे, रोगी, अछूत, अभावग्रस्त, उपेक्षित लोग ही भगवान के चरण हैं। उनकी सेवा ही भगवान की सेवा है। जिनके चरण समाज सेवा, राष्ट्र रक्षा, संस्कृति रक्षा, परमार्थ, परोपकार के लिए निकले, वहीं आधुनिक तीर्थ है।

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कैराना रोड स्थित एक फार्म हाउस में चल रही श्रीराम कथा में गुरुवार को विजय कौशल महाराज ने कहा कि भगवान परीक्षा से नहीं प्रतीक्षा से मिलते हैं। शबरी ने 60-70 वर्षों तक निरंतर भगवान की आराधना की और उनके आने की प्रतीक्षा की। तब जाकर भगवान ने स्वयं उनकी कुटिया पर पहुंचकर दर्शन दिए। वहीं, कहा कि केवट ने प्रभु श्रीराम को अपनी नाव से गंगा पार कराया। पार उतरने के बाद भगवान को संकोच हो रहा था कि इसे उतराई के रूप में देने को आज उनके पास कुछ भी नहीं है। मां सीता ने अपनी राम नाम अंकित मुद्रिका उतारकर देना चाही, लेकिन केवट ने लेने से इन्कार कर दिया और कहा कि आज मुझे सब कुछ मिल गया। इस सृष्टि के इतिहास का यह पहला लेन देन है, जिसमें न कुछ दिया गया और न कुछ लिया गया। देने वाले को संकोच रहा कि मैंने इसे कुछ नहीं दिया और लेने वाले को आत्म संतोष रहा कि आज मैंने सब कुछ पा लिया। भाव यह है कि देने वाले के मन में दैन्य भाव होना चाहिए। अहंकार नहीं होना चाहिए और लेने वाले के मन में तृप्ति और संतोष का भाव होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि राम ब्रह्म के प्रतीक हैं, जानकी भक्ति की प्रतीक है और लक्ष्मण धर्माचार्य के प्रतीक हैं। आज धर्माचार्य अपनी जिम्मेदारी से विमुख होते दिख रहे हैं। हमारे पूर्वजों ने जो चरण चिन्ह, जो परंपराएं हमारे लिए छोड़ी थी, स्थापित की थी, हमें उन पर चलना चाहिए। उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए। विजय कौशल महाराज ने कहा कि राम, लक्ष्मण और सीता प्रयाग में भारद्वाज मुनि के आश्रम में पहुंचते हैं। जहां राम उनसे आगे का रास्ता पूछते हैं। भाव यह है कि जीवन की यात्रा किसी संत से ही पूछनी चाहिए, वही हमारा मार्गदर्शन कर सकते हैं। बिना गुरु के यात्रा पूरी नहीं होती। भगवान हमारे अंदर विराजमान हैं, लेकिन उसकी अनुभूति गुरु ही कराता है। कथा में कथा के संयोजक पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल, नगर पालिका की अध्यक्षा अंजना बंसल, पुलिस अधीक्षक अजय कुमार, व्यापारी नेता अध्यक्ष घनश्याम दास गर्ग, अखिल बंसल, पूर्व आइजी विजय गर्ग, रोबिन गर्ग, सारिका बंसल, राजीव मलिक आदि मौजूद रहे। महिलाओं का सम्मान करें

विजय कौशल महाराज ने सभी करवाचौथ पर्व की शुभकामनाएं दी और पुरुषों से अपील की कि वह महिलाओं का सम्मान करें। आज यहां से यह संकल्प लेकर जाएं कि जीवन में कभी भी महिलाओं को प्रताड़ित नहीं करेंगे, अपमानित नहीं करेंगे। नारी लक्ष्मी का स्वरूप होती है और जहां नारी का सम्मान नहीं होता उस घर में दरिद्रता का प्रवेश होता है।


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