शुभ काम आज करो, अशुभ को कल पर छोड़ दो
संत प्रवर विजय कौशल महाराज ने कहा कि जीवन का यह सूत्र है कि शुभ कार्य को तुरंत करना चाहिए और अशुभ कार्य को कल के लिए छोड़ देना चाहिए। हम लोग इसका विपरित करते हैं।
शामली, जेएनएन। संत प्रवर विजय कौशल महाराज ने कहा कि जीवन का यह सूत्र है कि शुभ कार्य को तुरंत करना चाहिए और अशुभ कार्य को कल के लिए छोड़ देना चाहिए। हम लोग इसका विपरित करते हैं। राजा दशरथ से भी यही भूल हो गई थी। जब प्रभु राम के राजतिलक की बात आई तो गुरु वशिष्ठ ने यह कार्य आज ही करने के लिए कहा था, लेकिन राजा दशरथ ने कह दिया था कि आज नहीं कल राजतिलक करेंगे।
कैराना रोड स्थित फार्म हाउस में चल रही श्रीराम कथा के पांचवें दिन विजय कौशल महाराज ने कहा कि प्रभु राम का वनवास कैकेयी के कारण नहीं हुआ। राम वन गमन के कई कारण थे। एक तो राज्याभिषेक को कल के लिए टाल दिया था, दूसरा कारण था राजा दशरथ द्वारा गुरु वरिष्ठ का अपमान करना। राज्याभिषेक के निर्णय के बाद राजा दशरथ ने राम को शिक्षा दिलाने के लिए गुरु वशिष्ठ को बुलवाया, जबकि वशिष्ठ जैसे तपस्वी ऋषि के पास राजा दशरथ को स्वयं जाना चाहिए था या फिर राम स्वयं उनके पास जाते। राजा दशरथ के राज्य में साधु संत स्वयं को असुरक्षित समझते थे। इसीलिए विश्वामित्र को राक्षसों के विध्वंस के लिए राम लक्ष्मण को दशरथ से मांग कर ले जाना पड़ा। यही कारण है प्रभु राम ने निश्चय कर लिया था कि वह राज्य सिंहासन पर नहीं बैठेंगे। प्रभु राम ने एक पत्नी व्रत का निश्चय भी किया था। उन्होंने कहा कि प्रभु राम भाई भरत को राजा बनाना चाहते थे और आज के युग में भाई-भाई की जान का दुश्मन बना हुआ है। साथ ही श्रद्धालुओं को राम वनवास, केवट प्रसंग सुनाकर भाव-विभोर कर दिया। कथा में एसपी अजय कुमार, शामली शुगर मिल के एमडी रजत लाल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम दास गर्ग, रालोद नेता योगेंद्र चेयरमैन, कथा के संयोजक पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल, नगर पालिका की अध्यक्षा अंजना बंसल, पुलिस अधीक्षक अजय कुमार, अखिल बंसल, पूर्व आइजी विजय गर्ग, रोबिन गर्ग, सारिका बंसल, प्रदीप मंगल, मुकेश गोयल, अशोक बंसल, सपन मित्तल, महेश गोयल, राजीव मलिक आदि मौजूद रहे।
दहेज के रूप में कश्मीर से आई थी मंथरा
विजय कौशल महाराज ने कहा कि मंथरा कश्मीर से महारानी कैकेयी के साथ दहेज में आई थी। कश्मीर ने त्रेता युग में भी इस देश को रुलाया और आज भी रुला रहा है। मंथरा कुसंग की प्रतीक है। कुसंग जब राजा दशरथ के परिवार में अपना असर दिखा सकता है तो हमारी तो हैसियत ही क्या है। कुसंग का ही प्रभाव था कि अयोध्या के महोत्सव को उसने महा उदासी में बदलवा दिया।