सस्ता हेलमेट यानी जान का सौदा
जागरण संवाददाता, शामली : सड़क पर निकलने से पहले दोपहिया चालक को हेलमेट लगाना जरूरी ह
जागरण संवाददाता, शामली : सड़क पर निकलने से पहले दोपहिया चालक को हेलमेट लगाना जरूरी होता है। प्रत्येक को हेलमेट की अहमियत का मालूम होता हे, लेकिन बावजूद इसके ¨जदगी को दाव पर लगाने में गुरेज नहीं करते हैं। जिलेभर में हेलमेट व कारों में सीटबेल्ट को लेकर जागरूकता अभियान चलते रहे हैं। पुलिस सख्ती करते हुए चालान भी करती है। अब लोगों ने हेलमेट को केवल चालान से बचने के लिए इस्तेमाल शुरू करना शुरू किया है। हालांकि सबकों अपनी ¨जदगी के बारे में समझाना जरूरी नहीं है, उन्हें स्वयं ही समझना चाहिए। सड़कों पर बिना आइएसआइ मार्का के हेलमेट धड़ल्ले से बिक रहे है। ये हेलमेट सस्ते होते हैं, घटिया सामग्री से बने होने के कारण इनमें सिर सुरक्षित नहीं रहता। बावजूद इसके ऐसे हेलमेट खरीदकर चालक सुरक्षा के बदले ¨जदगी को दांव पर लगाकर वाहनों को दौड़ा रहे है। अधिकांश दोपहिया वाहन चालक हेलमेट पहनने से कतराते हैं। वह अच्छे हेलमेट में पैसा खर्च करने से भी बचते हैं। हालांकि चालान से बचने के लिए वह एक सस्ता और लोकल हेलमेट खरीद लेते हैं। यदि आम तौर पर देखा जाए तो हेलमेट पहनना लोगों के लिए एक बंद कवच से कम नहीं। ऊपर से हेलमेट का वजन में भारी होना भी एक समस्या है। चालक हेलमेट पहनने में परेशानी महसूस करते हैं। गर्मियों में तो पसीने तथा फोम की ¨सथेटिक रगड़ के कारण अक्सर सिर में खुजली और बाल झड़ने जैसी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। इसके इतर, महिलाएं हेलमेट इसलिए पसंद नहीं करती क्योंकि इससे उनका हेयरस्टाइल बिगड़ जाता है।
सरकार का सराहनीय कदम-
बता दें कि इन दिनों एक से बढ़कर एक बाइक, स्कूटर लांच हो रहे हैं। शासन ने सराहनीय आदेश जारी किया है कि अब कोई भी टू-व्हीलर बिना हेलमेट के नहीं बेचा जाएगा। सस्ता-नकली हेलमेट जान का दुश्मन
सोचनीय बात है कि 60 हजार रुपये की बाइक तो बहुत शौक से खरीदी जाती हैं लेकिन हेलमेट नकली, ताकि हेलमेट से चालान से बचा जा सके आजकल मार्केट में 1 हजार रुपये में ही बढि़या ऑरिजनल हेलमेट मिल जाता है। ऑरिजनल हेलमेट दिखने में अच्छे होते हैं साथ ही इनकी लाइफ ज्यादा होती है। यह सिर को पूरी तरह से सेफ रखते हैं। इस समय मार्किट में स्टीलबर्ड, स्टड्स, एरोस्टार, जैसे अच्छे ब्रांड मौजूद हैं। अधिकांश हादसों में चालक ने नहीं लगाया हेलमेट-
जनपदभर में यदि देखा जाए तो पिछले दिनों व वर्षो में जितने भी दोपहिया वाहनों में बड़े वाहनों ने टक्कर मारी है अथवा दोपहिया वाहन अन्य किसी प्रकार से हादसाग्रस्त हुए है। इन हादसों में चालक या पीछे बैठे व्यक्ति की जान गई है तो इसका मुख्य कारण मृतक का हेलमेट न लगाना था। नगर में कई ऐसे बड़े हादसे हुए है जिनमें वाहन चालक की जान चली गई। बाइक के सड़क पर गिरने के बाद चालक का सिर सड़क में लगा और इसके बाद उसने दम तोड़ दिया। इसके बाद भी वाहन चालक जागरूक नहीं हो रहे है। यदि कार चालक की हादसे में मौत होती है तब भी देखने में आया कि चालक ने सीट बेल्ट नहीं लगाई थी। इसमें पुलिस व परिवहन विभाग की भी लापरवाही उजागर होती है।
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इन्होंने कहा-
सस्ते के फेर में वाहन चालक अपनी जान के लिए सुरक्षित समझा जाने वाला हेलमेट खरीद लेता है, जबकि कुछ ज्यादा दाम देकर अच्छा कंपनी आइएसआइ मार्का वाला हेलमेट आ सकता है। लेकिन चालक इसे दर किनार कर रहे है। हेलमेट के लिए पुलिस द्वारा अभियान भी चलाया जाता है। चालान भी काटे जाते है।
-भंवर ¨सह, जिला यातायात अधिकारी।