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बाबा साहेब आंबेडकर और बापू के विचारों की पृष्ठभूमि है एक था डॉक्टर एक था संत

शामलीजेएनएन किताबें अपने आप में ही एक खूबसूरत शब्द है। जिसके मायने बहुत खास हैं। कुल मिलाकर वो तमाम चीजें जिन्हें आप समझकर ज्ञान हासिल कर सकते हैं। वह किताब से ही संभव है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 10:50 PM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2020 10:50 PM (IST)
बाबा साहेब आंबेडकर और बापू के विचारों की पृष्ठभूमि है एक था डॉक्टर एक था संत
बाबा साहेब आंबेडकर और बापू के विचारों की पृष्ठभूमि है एक था डॉक्टर एक था संत

शामली:जेएनएन

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किताबें अपने आप में ही एक खूबसूरत शब्द है। जिसके मायने बहुत खास हैं। कुल मिलाकर वो तमाम चीजें जिन्हें आप समझकर ज्ञान हासिल कर सकते हैं। वह किताब से ही संभव है। आज यानि 23 अप्रैल विश्व पुस्तक दिवस है। 23 अप्रैल 2001 से भारत सरकार विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मना रही है। इस दिन पुस्तक प्रेमी पुस्तकों की खरीदारी भी शौक से करते है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में यह शौक ऑनलाइन पढ़कर पूरा करना होगा। साल 2019 में लिखी और चर्चित रही दो किताबों जिनमें एक था डॉक्टर एक था संत एवं अमित शाह और भाजपा की यात्रा का पुस्तक प्रेमी व बुद्धिजीवी पाठक वर्ग ने कुछ इस तरह समझा और परखा है।

एक था डॉक्टर एक था संत

शामली जनपद के निवासी एवं पुस्तक प्रेमी डॉक्टर सुमित पुंडीर बताते है कि पुस्तक वैसे तो एक से बढ़कर एक है, लेकिन साल 2019 में प्रकाशित किताब एक था डॉक्टर एक था संत ने काफी प्रभावित किया है। किताब की सामग्री अत्यंत ज्ञानवर्धक व प्रेरणादायी है।

डॉक्टर सुमित पुस्तक की समीक्षा करते हुए बताते है कि इंग्लिश लेखिका अरुंधति रॉय की नई किताब 'एक था डॉक्टर एक था संत' में महात्मा गांधी और बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों की पृष्ठभूमि पर विस्तार करती है। किताब में वर्तमान भारत में असमानता को समझने और उससे निपटने के लिए अरुंधति रॉय जोर दे कर कहती हैं कि हमें राजनीतिक विकास और मोहनदास करमचंद गांधी के प्रभाव दोनों का ही परीक्षण करना होगा। लेखिका के विश्लेषण में हम देखते हैं कि न्याय के लिए आंबेडकर की लड़ाई जाति को सु²ढ़ करने वाली नीतियों के पक्ष में व्यवस्थित रूप से दरकिनार कर दी गई, जिसका परिणाम है वर्तमान भारतीय राष्ट्र जो आज ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र है, विश्व स्तर पर शक्तिशाली है, लेकिन आज भी जाति व्यवस्था में आकंठ डूबा हुआ है। बकौल सुमित किताब ने आईना दिखाया है।

अमित शाह और भाजपा की यात्रा

शामली निवासी एवं वीवी इंटर कॉलेज में प्रवक्ता डॉक्टर अनुराग शर्मा बताते है कि 2019 में प्रकाशित अमित शाह और भाजपा की यात्रा पुस्तक दो बार पढ़ी है। बकौल, डॉक्टर शर्मा, मेरे द्वारा 2019 में प्रकाशित अनिर्बान गांगुली और शिवानंद द्विवेदी जी द्वारा लिखित अमित शाह और भाजपा की यात्रा को पढ़ने का अवसर मिला। इस पुस्तक के द्वारा मुझे अमित शाह के भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता के रूप में उदय से लेकर सत्ता के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचने के सफर की विस्तृत जानकारी मिली। उनके व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों को जानने और समझने का मौका मिला। किस प्रकार अपने राजनीतिक सफर को नरेंद्र मोदी के साथ कदमताल करते हुए भारतीय जनता पार्टी को सत्ता के शीर्ष पर आरूढ़ किया ।

इस समीक्षा में विशेष रूप से अमित शाह के विचारों, उनकी पारिवारिक यात्रा, पारिवारिक उनकी कार्य शैली, उनकी राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण गुजरात की राजनीति का सफर, मिशन 2014-उत्तर प्रदेश और उसके बाद मिशन-2019 के सफलतापूर्वक फतेह करने से लेकर उनके जीवन में आई समस्त राजनीतिक चुनौतियों को जानने और समझने का अवसर मिला। पुस्तक ने बताया कि किस प्रकार अमित शाह ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में नेतृत्व करते हुए अमित शाह को भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में किस प्रकार क्षेत्रीय राजनीति से निकालकर राष्ट्रीय ना राजनीति का सर्वमान्य नेता बना दिया। वास्तव में इस पुस्तक के द्वारा अमित शाह जी के संपूर्ण व्यक्तित्व के दर्शन हुए। वास्तव में किताब से संघर्ष और सफलता की सीख मिलती है।


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