शहर में बंदरों का बढ़ा आतंक, कब जागेंगे जिम्मेदार
शहर में बंदरों का आतंक बढ़ गया है। लोग परेशान हैं लेकिन नगर पालिका प्रशासन ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाए हैं। शहर के अधिकांश मोहल्लों में बंदरों की समस्या बनी हुई है।
शामली, जागरण टीम। शहर में बंदरों का आतंक बढ़ गया है। लोग परेशान हैं, लेकिन नगर पालिका प्रशासन ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाए हैं। शहर के अधिकांश मोहल्लों में बंदरों की समस्या बनी हुई है।
सितंबर माह में कैराना में पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुषमा चौहान पर बंदरों ने हमला कर दिया था और उनकी छत से गिरकर मौत हो गई थी। इसके बाद कैराना में तो अभियान चलाकर बंदरों को पकड़ा गया था, लेकिन शामली शहर में कोई अभियान नहीं चला। लगातार बंदरों की संख्या बढ़ रही है तो उनका आतंक भी बढ़ रहा है। छत से कपड़े उठाकर ले जाते हैं और फुलवारी आदि को भी नष्ट कर देते हैं। काफी लोगों को बंदर काट भी चुके हैं।
सभासद निशी रानी, पंकज गुप्ता का कहना है कि पिछले दो सप्ताह से तो बंदर काफी अधिक हो गए हैं। ऐसा लग रहा है कि आसपास कोई बंदरों को छोड़ गया और फिर वह शहर में आ गए। नगर पालिका प्रशासन को पत्र लिखकर बंदरों को पकड़वाने की मांग की जाएगी।
अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र यादव का कहना है कि कुछ माह पूर्व बंदरों को पकड़वाया गया था। इसके बाद यह समस्या काफी कम हो गई थी। जल्द ही मथुरा के ठेकेदारों से बात की जाएगी। क्योंकि वहीं से बंदर पकड़ने के लिए टीम आती है।
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मरीज भी रहते हैं परेशान
सीएचसी शामली में भी काफी बंदरों का जमावड़ा रहता है। छत पर रखे पानी के टैंक को कईं बार क्षतिग्रस्त कर चुके हैं। साथ ही मरीजों को भी समस्या रहती है। सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डा. रामनिवास का कहना है कि इस संबंध में नगर पालिका परिषद को पत्र लिखा जाएगा।
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बंदरों का हर वक्त डर बना रहता है। बच्चों को अकेले छत पर भेजने में डर लगता है। कईं कपड़ों को बंदर फाड़ चुके हैं।
-वर्षा वर्मा, मुरारीवाला कुआं बंदरों के साथ आवारा कुत्तों का भी आतंक है। कुछ दिन पहले घर में रखे गमले भी तोड़ दिए थे। लेकिन इन समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
-संदीप नामदेव, बरखंडी बंदर पानी की टैंक के ढक्कन को भी कई बार तोड़ चुके हैं। रात में भी छत पर आ जाते हैं। इस समस्या का समाधान जल्द होना चाहिए।
-नवीन गोयल, गुजरातियान तीन-चार माह से तो बंदरों के आतंक से राहत थी। लेकिन अब फिर से समस्या बढ़ गई है। ऐसे में बच्चों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
-सोनू मित्तल, शिवगंज मंडी
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