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कब्रिस्तान या श्मशान को लेकर दो वर्ग आमने-सामने

संवाद सूत्र, बाबरी (शामली) : गांव बंतीखेड़ा में एक वाल्मीकि महिला की मौत के बाद शव के अंतिम

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 10:18 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 10:18 PM (IST)
कब्रिस्तान या श्मशान को लेकर दो वर्ग आमने-सामने
कब्रिस्तान या श्मशान को लेकर दो वर्ग आमने-सामने

संवाद सूत्र, बाबरी (शामली) : गांव बंतीखेड़ा में एक वाल्मीकि महिला की मौत के बाद शव के अंतिम संस्कार को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया। तहसीलदार ने राजस्व अभिलेख की जांच कर बताया कि जमीन कब्रिस्तान के रूप में दर्ज है। इसलिए वहां शव का अंतिम संस्कार नहीं हो सकता। तहसीलदार ने वाल्मीकि समाज को गांव में दाह संस्कार के लिए अलग से जमीन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। गांव प्रधान और अन्य सम्मानित व्यक्ति ने दोनों पक्षों में आपसी रजामंदी कराकर वाल्मीकि महिला के शव का अंतिम संस्कार करा दिया।

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जनवरी 2018 में गांव में राजस्व विभाग की टीम ग्राम पंचायत की भूमि खसरा संख्या-872 को कब्जामुक्त कराने गई। ग्रामीणों को पता चला कि कागजों में वह जमीन कब्रिस्तान के नाम दर्ज है। इस पर मुस्लिम समाज के लोग उस पर अपना अधिकार जताने लगे।

वर्तमान में इस जमीन कि न तो कोई चाहरदीवारी हो पाई और न ही वहां किसी मुस्लिम समाज के लोग को दफनाया गया है। वाल्मीकि समाज के लोगों का कहना कि उन्होंने समाज के कई शव का अंतिम संस्कार इसी जगह पर किया है। मंगलवार को जब वाल्मीकि महिला सुदेश पत्नी राकेश की मृत्यु हो गई। लोगों ने इस जमीन पर अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी और उफले रखने शुरू कर दिए।

इस दौरान मुस्लिम समाज के लोगों ने इसका विरोध किया। घटना की जानकारी पुलिस को दी गई। सूचना पर लेखपाल सचिन व कानूनगो रामपाल सहित राजस्व विभाग टीम सहित तहसीलदार अभयराज पांडे मौके पर पहुंचे। उन्होंने अभिलेखों और नक्शों की जांच कर इस जमीन को कब्रिस्तान के रूप में दर्ज बताया।

उन्होंने जमीन पर शव के अंतिम संस्कार को गलत बताया। वाल्मीकि समाज के लोगों ने बताया कि परंपरा के अनुसार लगभग 50 सालों से वह उसी जगह पर शवों का अंतिम संस्कार करते आ रहे है। उन्होंने आशंका जाहिर की कि राजस्व विभाग की ओर से कागजों में कोई त्रुटि हो गई हो इसलिए पुराने अभिलेखों को निकलवा कर उनकी जांच की जानी चाहिए।

उधर मुस्लिम समाज के लोगों ने तहसीलदार को बताया कि वह कब्रिस्तान की भूमि है, इसलिए यहां शव का अंतिम संस्कार नहीं होना चाहिए। तहसीलदार ने दोनों पक्षों के लोगों को समझाया और भविष्य में वाल्मीकि समाज को यहां शवों का अंतिम संस्कार नहीं करने को कहा।

तहसीलदार ने लेखपाल को बुलाकर वाल्मीकि समाज के लोगों को गांव में अलग जगह श्मशान घाट आवंटित करने को कहा। इसके लिए ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव पास कर जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। ग्राम प्रधान और अन्य जिम्मेदार लोगों ने सहमति से बाद में वाल्मीकि महिला के शव का अंतिम संस्कार उसी भूमि पर करा दिया।


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