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बालिकाओं को शिक्षित और सुरक्षित कर रहीं सुनीता दीदी

जिले के प्राथमिक विद्यालय गागोर की शिक्षिका सुनीता आर्य ने विपरीत परिस्थिति में अपनी उच्च शिक्षा ग्रहण कर अध्यापिका पद प्राप्त किया तो वहीं अब गरीब-मजलूम महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनकर नारी सशक्तीकरण की मिसाल बनी है। सुनीता जहां बालिका और महिलाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित करती हैं वहीं एलएलबी उत्तीर्ण होने के चलते कानूनी सलाह भी दे रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 11:10 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 11:10 PM (IST)
बालिकाओं को शिक्षित और सुरक्षित कर रहीं सुनीता दीदी
बालिकाओं को शिक्षित और सुरक्षित कर रहीं सुनीता दीदी

शामली, जागरण टीम। जिले के प्राथमिक विद्यालय गागोर की शिक्षिका सुनीता आर्य ने विपरीत परिस्थिति में अपनी उच्च शिक्षा ग्रहण कर अध्यापिका पद प्राप्त किया तो वहीं अब गरीब-मजलूम महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनकर नारी सशक्तीकरण की मिसाल बनी है। सुनीता जहां बालिका और महिलाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित करती हैं, वहीं एलएलबी उत्तीर्ण होने के चलते कानूनी सलाह भी दे रही हैं।

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जिले के ब्लाक ऊन क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय में बतौर शिक्षिका अध्यापन कार्य कर रही है। वैसे तो सुनीता जनपद मेरठ की निवासी है, लेकिन प्राथमिक विद्यालय में अध्यापन व उनके जनहित के कार्यों के कारण उन्हें घर से बढ़कर स्नेह महिलाएं व छात्राएं दे रही हैं। महिलाएं उन्हें सुनीता दीदी कहकर ही संबोधित करती हैं। सुनीता की कहानी महिलाओं को प्रेरित करने वाली है। उनका मानना है कि लड़की को अगर स्वावलंबी बनना है तो सामाजिक सुरक्षा आवश्यक हो जाती है। पुरुषों की तुलना में उसे अधिक संघर्ष से गुजरना पड़ता है। बकौल सुनीता, वे एलएलबी की पढ़ाई कर रही थी और साथ में पीसीएस-जे की तैयारी भी, लेकिन एलएलबी पूरा होते ही शादी हो गई। इसके बाद परिवार को समय देने के साथ खुद का सपना पूरा करना मुश्किल लगता था, लेकिन पिता कहा करते थे कि जो हार मान ले वह इंसान नहीं और मेहनत असंभव को भी संभव बना देती है। पिता के ये शब्द आत्मविश्वास पैदा करते। पीसीएस-जे में तो चयन नहीं हुआ, लेकिन पति की एक सलाह ने मेरी जिदगी बदल दी। उनके कहने पर अध्यापक बनने की राह चुनी। बीएड किया और कड़ी मेहनत के पश्चात शिक्षिका बन गई। अपनों से दूर अपनी छोटी बच्चियों से दूर बड़ी तड़प होती। इसमें छोटी बेटी जो मात्र एक वर्ष की थी। सुनीता बताती हैं कि पढ़ाई का माध्यम हिदी था और किसी ने मुझे चुनौती दी थी की यूपी बोर्ड से पढ़े स्टूडेंट की इंग्लिश पर कमांड नहीं होती। इसे पूरी शिद्दत से कर कार्य को संभव कर दिखाया। ब्रिटिश काउंसिल ने मुझे स्टेट रिसोर्स पर्सन फार इंग्लिश सब्जेक्ट के लिए चयनित किया। इंग्लिश मास्टर ट्रेनर का पद अपनी मेहनत से हासिल किया। इसके पश्चात ट्रांसफर जिला शामली में हुआ, जहां फिर से नई शुरूआत की। फिलहाल सुनीता महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही आत्मसुरक्षा और शिक्षित होने पर जोर देती है। इसके साथ ही कानूनी सलाह देते हुए हक के लिए लड़ना भी सिखा रही हैं।


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