बढ़ा स्मॉग का प्रभाव, लोग परेशान
स्मॉग से अभी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। पिछले कुछ दिनों की अपेक्षा गुरुवार सुबह से ही स्मॉग का असर अधिक देखने को मिला। जिसके चलते लोगों की परेशानी बढ़ गई।
शामली, जेएनएन। स्मॉग से अभी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। पिछले कुछ दिनों की अपेक्षा गुरुवार सुबह से ही स्मॉग का असर अधिक देखने को मिला। जिसके चलते लोगों की परेशानी बढ़ गई।
सुबह आसमान में स्मॉग छाया रहा। यह इतना अधिक था कि वाहनों में चलने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। स्मॉग के चलते स्कूल में जाने वाले बच्चों के मुंह पर भी कपड़ा लिपटा दिखाई दिया। बुजुर्ग लोगों को सुबह के समय घूमने में काफी परेशान का सामना करना पड़ा। कोहरा लोगों को परेशान कर रहा था। सुबह के समय काफी ठंड भी रही। लोग दुपहिया वाहनों पर गर्म कपड़ों में लिपटे दिखाई दे रहे थे। दोपहर के समय धूप निकलने पर स्मॉग का असर कम हुआ और लोगों को कुछ राहत मिली। शाम होते-होते फिर से स्मॉग ने असर दिखाना शुरू कर दिया। रात्रि के समय सफर करने वाले लोग परेशान रहे। गांव देहात में भी स्मॉग छाया रहा। सुबह के समय खेतों में कार्य करने वाले किसान भी स्मॉग के चलते परेशान रहे। स्मॉग आंखों में चुभ रहा था। लोग अपनी आंखों को धो रहे थे। फिर भी आंखों की जलन लोगों को परेशान कर रही थीं। कई लोग आंखों के हॉस्पिटल में जाकर इलाज कराते नजर आए। दमे के मरीजों को भी काफी दिक्कत हुईं। अनेक लोग स्मॉग के चलते घरों से बाहर नहीं निकले।
प्रदूषण के ये हैं कारण
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय भटनागर का कहना है कि मुख्य रूप हरियाणा-पंजाब में पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ा है। साथ ही इस वक्त हवा में नमी काफी अधिक है। ऐसे में प्रदूषित धुआं है, वह ऊपर नहीं जा पा रहा है।
सांस रोगियों की बढ़ी परेशानी
सीएचसी शामली के चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक कुमार का कहना है कि वातावरण में धुंध नजर आने वाला जहरीला धुआं है। इससे सांस रोगियों को काफी दिक्कत हो सकती है। साथ ही लापरवाही बरतने पर अन्य लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। अस्थमा और टीबी के रोगी हो सके तो घर से निकलने में परहेज करें। हर एक घंटे बाद पानी पीते रहें। मसालेदार भोजन का कम ही सेवन करें। घर के भीतर योग और व्यायाम भी करना अच्छा रहेगा। बाहर दौड़ने, टहलने से अभी परहेज ही करें। उन्होंने बताया कि सीएचसी की ओपीडी में सांस लेने में दिक्कत होने के काफी मरीज आए। इनका यही कहना था कि दो दिन से ही परेशानी बढ़ी है। इनमें अधिकांश बुजुर्ग थे।
-बच्चों का विशेष ध्यान रखें
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. वेदभानु मलिक ने बताया कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और फेफड़े भी कमजोर होते हैं। इस वक्त स्मॉग बहुत ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे में छोटे बच्चों को घर के अंदर ही रखें। इस प्रदूषण से आंखों और त्वचा भी नुकसान होता है। बाहर जाते वक्त आंखों पर चश्मा लगाना न भूलें और चेहरे को मास्क और हाथों को किसी कपड़े से ढककर रखें। स्मॉग के कारण आंखों में जलन और त्वचा में एलर्जी हो सकती है।