जिला अस्पताल को स्टाफ दिलाकर शुरू करा दें सीएम साहब
जिला बने आठ साल से अधिक वक्त हो चुका है लेकिन शामली को जिला अस्पताल का इंतजार है। बिल्डिग करीब-करीब बनकर तैयार हो चुकी है पर स्टाफ का प्रस्ताव शासन में लंबित है।
शामली, जेएनएन। जिला बने आठ साल से अधिक वक्त हो चुका है, लेकिन शामली को जिला अस्पताल का इंतजार है। बिल्डिग करीब-करीब बनकर तैयार हो चुकी है, पर स्टाफ का प्रस्ताव शासन में लंबित है। इसके बिना कैसे जिला अस्पताल शुरू होगा। जिले में सात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हैं, लेकिन ये रेफरल सेंटर से अधिक नहीं हैं। ऐसे में दिक्कतों का अंदाज 'सरकार' लगा ही सकते हैं।
शामली के जिला बनने के बाद शासन ने सौ बेड का संयुक्त जिला अस्पताल स्वीकृत किया था। तब इसकी लागत 34.32 लाख रुपये थी। पहली किस्त के रूप में चार करोड़ 27 लाख रुपये जारी हुए थे और अक्टूबर 2015 में काम शुरू हो गया था। तब निर्माण कार्य पूरा करने की डेडलाइन अक्टूबर 2017 थी, लेकिन दूसरी किस्त नहीं मिली और काम अधर में लटक गया था। मार्च 2018 में 15 करोड़ 93 लाख रुपये की धनराशि आने के बाद काम शुरू तो हुआ, लेकिन लागत बढ़ गई। कार्यदायी संस्था आवास विकास परिषद ने 39.82 करोड़ रुपये का एस्टीमेट बनाया और शासन ने इसे स्वीकृत कर दिया था। 31 मार्च 2019 तक कुल 30.15 करोड़ रुपये जारी हो गए थे। इसके बाद शेष पैसा जारी कराने के लिए पत्राचार किया जा रहा था। वह गत माह जनवरी में मिला है। चौथी किश्त के रूप में 7.68 करोड़ की धनराशि जारी हुए हैं। अब शेष 1.99 करोड़ रुपये निर्माण पूरा होने के बाद जारी होंगे। अब सवाल ये है कि कब स्टाफ का प्रस्ताव स्वीकृति हो, कब स्टाफ की नियुक्ति होगी। अभी करीब पांच करोड़ रुपये जिला अस्पताल की साज-सज्जा के लिए आना भी शेष हैं। बता दें कि संयुक्त जिला अस्पताल के लिए लखनऊ इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड (आइपीएचएस) के मानक के अनुसार स्टाफ के लिए प्रस्ताव भेजा है। मानक के अनुसार चार एमबीबीएस डाक्टर, दो फिजिशियन, दो सर्जन, दो ऑर्थोपैडिक सर्जन, एक ईएनटी सर्जन, एक दंत चिकित्सक, दो महिला चिकित्सक, दो बाल रोग विशेषज्ञ, दो रेडियोलॉजिस्ट, एक पैथोलॉजिस्ट, 20 स्टाफ नर्स, 12 वार्ड ब्वाय, छह स्वीपर आदि की नियुक्ति होनी है। डायलिसिस और सीटी स्कैन का प्रस्ताव भी लंबित
जिला संयुक्त अस्पताल में डायलिसिस यूनिट का प्रस्ताव करीब दस माह पूर्व शासन को भेजा गया था। तीन माह पूर्व सीटी स्कैन यूनिट का प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है। दोनों यूनिट को पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर संचालित करने की योजना है। मरीजों के लिए सुविधा निश्शुल्क होगी। स्वास्थ्य विभाग शासन स्तर पर निर्धारित मूल्य के हिसाब से एजेंसी को भुगतान करेगा। इन दोनों प्रस्तावों को भी मंजूरी नहीं मिल पा रही है। -ये भी है समस्या
शामली सीएचसी परिसर में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र है। इसका संचालन एक सोसायटी करती है। पांच माह से केंद्र पर दवाओं की आपूर्ति नहीं हुई है और केंद्र का फायदा लोगों को नहीं मिल रहा है। दरअसल, सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए केंद्र खोले गए थे। वैसे तो 650 से अधिक दवा होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में 30-40 प्रकार की ही दवाएं ही उपलब्ध हैं।