खतरे में नौनिहालों की जान, जिम्मेदारों पर सवालिया निशान
जागरण संवाददाता, शामली: बच्चों की जान खतरे में हैं। स्कूल प्रशासन को कोई ¨चता नहीं है, लेि
जागरण संवाददाता, शामली: बच्चों की जान खतरे में हैं। स्कूल प्रशासन को कोई ¨चता नहीं है, लेकिन पुलिस-प्रशासन और आरटीओ भी आंखें मूंदे हैं। इसे लापरवाही कहें या कुछ ओर, लेकिन मंगलवार को हुए हादसे का प्रमुख कारण यह भी हैं।
स्कूलों में लगे वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चों को भरा जाता है। वाहन में अधिक सवारियां आ सकें, इसके लिए वाहनों से सीट हटाकर लकड़ी के फट्टे लगा दिए जाते हैं। नौनिहालों की जान खतरे में है, लेकिन स्कूल प्रशासन भी चुप रहता हैं। जबकि, इनमें अधिकांश वाहन स्कूल प्रशासन के होते हैं या इनका स्कूल से करार होता है। कुल मिलाकर अभिभावक ट्रांसपोर्ट का भुगतान फीस के साथ स्कूल को करते हैं। जिम्मेदारी तो स्कूल प्रशासन की है कि बच्चे सुरक्षित घर से स्कूल और स्कूल से घर पहुंचें। लेकिन, इस दायित्व का निर्वहन नहीं किया जाता है। क्योंकि, ऐसा नहीं है कि प्रबंधन को न पता हो कि एक वाहन में कितने बच्चे आते-जाते हैं।
इसके अलावा डग्गामार वाहन भी स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने में लगे हैं। इनकी स्थिति तो ओर खराब है। ई-रिक्शा में ही एक दर्जन बच्चे बैठाए जाते है। घायल बच्चों के परिजन व अन्य लोगों में इसे लेकर गुस्सा था।
सुधीर शर्मा, संजय शर्मा, विपिन कुमार आदि का कहना था कि स्कूल हर महीने 700 रुपये ट्रांसपोर्ट के नाम पर लेता है। हम समय पर इसका भुगतान करते हैं। लेकिन, इसके बावजूद वैन से लेकर बसों में भी क्षमता से अधिक बच्चों को भर लिया जाता है। आगे वाली सीट पर भी चार-चार बच्चे बैठाए जाते हैं। चालक को भी बैठने के लिए पूरी जगह नहीं मिलती है। कुछ अभिभावक स्कूल के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की बात भी कर रहे थे।
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हादसे की जांच होगी और इसके बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी। वाहन में कितने बच्चे थे, ये स्पष्ट नहीं हो सका है। लेकिन, चालक गलत साइड चल रहा था। क्षमता से अधिक बच्चे बैठाने वाले वाहनों के खिलाफ अभियान शुरू किया जाएगा।
- मुंशीराम, एआरटीओ।
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इस हादसे से मैं बहुत ज्यादा दुखी हूं। भगवान से प्रार्थना है कि सभी बच्चे ठीक हो जाएं। अगर हमारे स्तर से कोई कमी होगी तो उसे दुरुस्त किया जाएगा।
- मीनू संगल, प्रधानाचार्य, सेंट आरसी स्कूल।