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सर्दी में हाईपोथर्मिया से नवजात को बचाएं

शामली : सर्दियों में हाईपोथर्मिया से होने वाली नवाजातों की मौत के मद्दनेजर एसीएमओ ने सीएचसी श

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 11:19 PM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 11:19 PM (IST)
सर्दी में हाईपोथर्मिया से नवजात को बचाएं
सर्दी में हाईपोथर्मिया से नवजात को बचाएं

शामली : सर्दियों में हाईपोथर्मिया से होने वाली नवाजातों की मौत के मद्दनेजर एसीएमओ ने सीएचसी शामली के जच्चा-बच्चा वार्ड का निरीक्षण किया। उन्होंने नवजातों के लिए लगाई गई रेडिएंट वार्मर मशीन की जांच पड़ताल की। जच्चा-बच्चा वार्ड में तापमान बनाए रखने के लिए हीटर चलाने के भी निर्देश दिए।

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एसीएमओ डॉक्टर सुशील कुमार गुरुवार को सीएचसी शामली के जच्चा वार्ड में पहुंचे। उन्होंने वार्ड में नवजात बच्चों के शरीर का तापमान वातावरण के अनुकूल करने के लिए लगी रेडिएंट वार्मर मशीन की जांच पड़ताल की। उन्हें यहां वार्मर मशीन चालू मिली, लेकिन रूम हीटर चालू हालत में नहीं मिले। एसीएमओ ने निरीक्षण के दौरान चिकित्साधीक्षक डॉ. रमेश चंद्रा के अवकाश पर होने की जानकारी मिलने पर उनके कक्ष में बैठकर मरीजों का उपचार भी किया।

हाईपोथर्मियां से क्यों हो जाती है मौत?

एसीएमओ ने बताया कि अल्पताप (हाईपोथर्मिया) शरीर की वह स्थिति होती है जिसमें तापमान, सामान्य से कम हो जाता है। इसमें शरीर का तापमान 13 डिग्री सेल्सियस (73 डिग्री फेरेनहाइट) से कम हो जाता है। शरीर के सुचारू रूप से चलने को कई रासायनिक क्रियाओं की आवश्यकता होती है। आवश्यक तापमान बनाए रखने के लिए मानव मस्तिष्क कई तरीके से कार्य करता है। जब ये कार्यशैली बिगड़ जाती है तब ऊष्मा के उत्पादन के स्थान पर ऊष्मा का ह्रास तेजी से होने लगता है। कई बार रोग के कारण शरीर का तापमान प्रभावित होता है। ऐसे में शरीर का कोर तापमान किसी भी वातावरण में बिगड़ सकता है। इसे सेकेंडरी हाईपोथर्मिया कहा जाता है। ठंड लगना इसका प्रमुख कारण है। हाईपोथर्मिया के सबसे अधिक शिकार बच्चे या वृद्ध होते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतर शिशुओं की मृत्यु जन्म लेते ही हो जाती है। ये बच्चे हाईपोथर्मिया के ही शिकार हो जाते हैं। असल में जब तक बच्चा मां के गर्भ में रहता है तब उसका तापमान कुछ ओर रहता है लेकिन पैदा होने के साथ ही वह बाहर के तापमान में आ जाता है, जिसके कारण बच्चा बाहर के तापमान को एकदम नहीं सह पाता। इस समय ही बच्चों को ठंड लगती है और या तो वह निमोनिया का शिकार हो जाता है, या थोड़ी ही देर में दम तोड़ देता है। अधिकतर बड़े चिकित्सालयों में प्रसव-कक्ष का तापमान बच्चों के अनुरूप रखा जाता है या फिर बच्चा पैदा होने के साथ उसे गर्म कपड़े में लपेट लिया जाता है।


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