कभी जीवनदायिनी थी नदियां, अब प्रदूषित होकर बांट रही बीमारी
शामली जेएनएन जल स्वयं में देवता देवताओं का अर्पण और पितरों का तर्पण है। सचमुच जल ही जीवन है। कहते हैं जल है तो कल है पर जल ही जीवन तबाह करने लगे तो इसे आप क्या कहेंगे? कृष्णा नदी के किनारे आबाद जनपद के दर्जनों गांवों में जाकर हाल देखिए।
शामली: जेएनएन: जल स्वयं में देवता, देवताओं का अर्पण और पितरों का तर्पण है। सचमुच जल ही जीवन है। कहते हैं जल है तो कल है, पर जल ही जीवन तबाह करने लगे तो इसे आप क्या कहेंगे? कृष्णा नदी के किनारे आबाद जनपद के दर्जनों गांवों में जाकर हाल देखिए। यहां आप पाएंगे कि जल पीओ तो मौत, न पियो तो मौत.। यहां के लोगों का दर्द आंखों में छलक पड़ता है। प्रदूषित पानी के कारण इन गांवों में कैंसर, लीवर, किडनी, दिल की बीमारी गहरी जड़ें जमा चुकी हैं। कैंसर की बीमारी ने बड़ी संख्या में लोगों को असमय काल के गाल में धकेल दिया। कई इससे पीड़ित हैं और तिल-तिल मौत के आगोश में आ रहे हैं। यमुना नदी का जल भी प्रदूषण की जद में आने से बच नहीं सका है। हालांकि एनजीटी की फटकार के बाद से 19 गांव में ओवरहेड टैंक के लिए काम चल रहा है।
30 साल में बदल गई कृष्णा की तस्वीर
करीब 30 साल पहले कृष्णा नदी पूरी तरह से साफ स्वच्छ थी। इसका जल से सिचाई की जाती थी। औद्योगिक इकाइयों, ज्यादातर चीनी मिलों से निकल रहे रासायनिक अपशिष्ट ने कृष्णा में जहर घोल दिया। कृष्णा नदी में प्रदूषण स्तर बढ़ने से खतरनाक रासायनिक तत्व जीव जंतुओं, जलीय प्राणी और इंसानों की सेहत तबाह करने लगे। जिले के नगरीय निकायों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट न होने से गंदा पानी नाला-नालियों के जरिये सीधे कृष्णा नदी में प्रवाहित होकर इसे प्रदूषित कर रहा है।
विधानसभा में गूंजा मामला पर रुकी नहीं बदहाली
जिले के प्रदूषित पानी का मुद्दा विपक्ष में रहते भाजपा विधायक सुरेश राणा व विधायक पंकज मलिक ने विधानसभा में उठाया है। दिवंगत सांसद हुकुम सिंह व वर्तमान सांसद प्रदीप चौधरी ने भी संसद तक इस मसले को उठाया है, लेकिन फिलहाल तक नतीजा सिफर है। प्रदूषण की हालत यह है कि सरकारी हैंडपंपों में प्रदूषित व रंगीन पानी निकलता है। गंदे पानी से कृष्णा तो पहले से ही काली हो चुकी है।
प्रदूषणमुक्त कराने को खूब हुए आंदोलन
कृष्णा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए गांव दखौड़ी व चंदेनामाल के ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन किए। वर्ष 2006-07 में इसकी शुरुआत जलालाबाद क्षेत्र के गांव चंदेनामाल से हुई थी। यहां के युवाओं ने माटी ग्रामीणी संस्था बनाकर आंदोलन शुरू किया था। लगातार पल्स पोलियो अभियान का बहिष्कार, विस चुनाव का बहिष्कार, गांव में चूल्हे न फूंककर, बाइक रैली निकालते रहे, लेकिन जिला प्रशासन नहीं चेता। 2009 में दखौड़ी के ग्रामीणों ने चंदेनामाल की साथ आंदोलन किया। चैकडेम को तुड़वाने की मांग को लेकर धरने, प्रदर्शन, भूख हड़ताल हुए। इस बार चेकडेम तोड़ा गया, लेकिन कृष्णा साफ नहीं हुई। 2012 में जलालाबाद के युवाओं ने बीड़ा उठाया। कैंडल मार्च निकाले गए। धरना-प्रदर्शन हुए। इस बार 15 दिन के लिए गंगनहर का पानी इसमें छोड़ा गया, लेकिन नदी को स्वच्छ करने का सपना पूरा नहीं हुआ।
हसनपुर लुहारी में बर्बाद हुए परिवार
जिले के गांव हसनपुर लुहारी में कैंसर से आधा दर्जन से अधिक लोग पीड़ित हैं। करीब एक दर्जन लोग दम तोड़ चुके हैं। यहां हेपेटाइटिस बी व सी और लीवर, त्वचा, हृदय, किडनी के कैंसर के मरीजों की काफी संख्या है। गांव दखौड़ी, जमालपुर, चंदेनामाल समेत कई गांवों के हालात भयावह हैं। फिलहाल भी कैंसर से पीड़ित मरीज जिदगी मौत से लड़ रहे है।
प्रयोगशाला में फेल हुए पानी के नमूने
दोआबा पर्यावरण समिति के चेयरपर्सन एवं हरियाणा पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पूर्व सीनियर साइंटिस्ट डा. चंद्रवीर सिंह ने शामली समेत छह जिलों के पानी के नमूनों की प्रयोगशाला में जांच कराई थी। इसकी रिपोर्ट के अनुसार जिले के थानाभवन, बनत, कांधला, शामली, दखौड़ी, गौसगढ़, कैड़ी, कुड़ाना, काबड़ौत, सल्फा, सून्ना, सरनावली, डूंगर व राजपुर छाजपुर में पेयजल पूरी तरह प्रदूषित है। यहां पानी में कैडमियम, क्रोमियम, लैड, मर्करी व आयरन की मात्रा खतरनाक स्तर की पाई गई है।
शामली के प्रदूषित 19 गांवों में ओवरहेड टैंक का काम
जनपद शामली में 33 गांव कृष्णा नदी के किनारे स्थित है, जो प्रदूषण के शिकार है। इन गांवों में से सात में ओवरहेड टैंक का निर्माण हो चुका है। प्रदूषण में चार निकाय पंचायत एलम, थानाभवन, शामली व बनत शामिल है। जेई जल निगम सौरभ त्यागी ने बताया कि पाइप पेयजल योजना में 26 गांवों में पेयजल योजना में स्टीमेंट भेजा था, इसमें से 19 गांव जिनमें बरला जट, भनेडा, फतेहपुर, गोगवान जलालपुर, हिरनवाडा, किवाना, कुतुबगढ, मालैंडी, मतनावली, रायपुर, सोंटा रसूलपुर, डांगरौल, ख्वासपुर, सल्फा, सुन्ना, भिक्कीदेह, कनियान, समसपुर, लिसाढ है, काम चल रहा है, जबकि खानपुर, तलवा माजरा, जमालपुर के टेंडर छोड़े गए है।
स्वास्थ्य पर पड़ रहा दुष्प्रभाव
जिले के वरिष्ठ चिकित्सक डा. रविद्र तोमर बताते हैं कि कृष्णा में प्रदूषण के चलते आसपास के इलाकों का पानी भी संक्रमित हुआ है। बताया कि ऐसे इलाके के लोग हैंडपंप के पानी को भी एडवांस वाटर फिल्टर या आरओ सिस्टम से शुद्ध कर पीएं, तो अच्छा है। फिल्टर करने के बाद पानी को उबाल कर पीएं तो और अच्छा है।
354 गांवों को प्रदूषित कर चुकी 124 फैक्ट्रियां
दोआबा पर्यावरण समिति के चेयरपर्सन सीवी सिंह ने इस मामले में याचिका दायर की थी। जिस पर साल 2016 में एनजीटी ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए स्वच्छ पानी मुहैया कराने के आदेश दिए। डा. सीवी सिंह ने बताया कि गाजियाबाद, शामली, मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर के करीब 354 गांव क्रोमियम, कैडमियम, सीसा, मरकरी और आर्सेनिक की वजह से दूषित मिले थे। पानी में इन तत्वों की मिलावट की वजह इस इलाके में 124 उद्योगों का होना है। इलाके में मौजूद उद्योग कृष्णा नदी में अपना कचरा गिराते हैं और इसकी वजह से प्रदूषण फैलता है। हालांकि इन फैक्ट्रियों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बंद किया था, लेकिन कुछ फैक्ट्रियां फिर से शुरू हो गई। डा. सीवी सिंह कहते है कि जब तक पूरी तरह से प्रदूषणमुक्त जल नहीं होता तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी।