गुरु के लिए पुष्प लेने वाटिका पहुंचे राम
शामली जेएनएन । क्षेत्र में चल रहे रामलीला मंचन में अलग-अलग लीला का मंचन हो रहा। जलालाबाद के रामलीला मैदान में चौथे दिन गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुरी में सीता स्वयंवर में पहुंचे। गांव हसनपुरलुहारी में मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार के नाटक का सुंदर मंचन कलाकारों ने किया।
शामली, जेएनएन । क्षेत्र में चल रहे रामलीला मंचन में अलग-अलग लीला का मंचन हो रहा। जलालाबाद के रामलीला मैदान में चौथे दिन गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुरी में सीता स्वयंवर में पहुंचे। गांव हसनपुरलुहारी में मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार के नाटक का सुंदर मंचन कलाकारों ने किया।
जलालाबाद के रामलीला मैदान में भगवान राम के जन्म के सवा माह बाद भगवान शंकर प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए पहुंचे। परन्तु उन्हें दर्शन कराने से मना कर दिया। इस पर भगवान शंकर ने वहां नृत्य किया। इस सुंदर लीला को देख श्रद्धालु आत्म विभोर हो गए। शंकर का सुंदर अभिनय आचार्य पं. महेश गलैती ने किया। कौशल्या का अभिनय पं. मुकेश आर्य ने किया। राजा दशरथ के चारों पुत्रों का नामकरण गुरु वशिष्ठ ने किया। कुछ समय बाद चारों पुत्रों की दीक्षा ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में हुई। शिक्षा लेने के पश्चात राजा जनक के चारों पुत्र अयोध्या वापिस लौट आए। राजा जनक ने सीता स्वयंवर के लिए विश्वामित्र को विनय पत्रिका भेजी। जिस पर विश्वामित्र दोनो राजकुमारों को जनकपुरी लेकर पहुंचे। यहां राम पुष्प वाटिका में गुरु की पूजा के लिए पुष्प लेने पहुंचे तो यहां सीता भी सखियों के साथ पहुंची। जिस पर दोनों ने एक दूसरे को देखा। गांव हसनपुरलुहारी में रामलीला मंचन में मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार के नाटक का सुंदर मंचन किया गया। श्रवण कुमार के पिता का अभिनय नाथीराम, माता का राहुल, श्रवण का अभिनय सन्नी कुमार ने किया। गांधी चौक स्थित रामलीला मंचन में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का राजा जनक के यहां जन्म होने पर खुशी मनाई गई।