संपूर्ण प्रकृति की धरोहर है सार्वजनिक संपत्ति: डा. रुचिता
सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान तो हम सभी को मिलकर करना चाहिए। यदि सार्वजनिक संपत्ति को कोई नुकसान होता है तो यह हमारा ही नुकसान है।
शामली: सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान तो हम सभी को मिलकर करना चाहिए। यदि सार्वजनिक संपत्ति को कोई नुकसान होता है तो यह हमारा ही नुकसान है।
दैनिक जागरण के बुधवार के अंक में प्रकाशित संस्कार शाला के विषय सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान पर जैन कन्या इंटर कालेज की प्रधानाचार्य ने कहा कि मनुष्यों में ईमानदारी, परोपकार, सेवा जैसे प्राचीन एवं यशस्वी जीवन मूल्य विकसित किए जाएं, तभी हमारा देश पूर्व की भांति विश्व का सिरमौर बन सकेगा। अच्छे जीवन मूल्यों को अपनाने से व्यक्ति का समग्र चरित्र निखरता है। क्योंकि चरित्रवान व्यक्तियों से ही एक चरित्रवान समाज का निर्माण हो सकता हैं? और इसी से संपूर्ण राष्ट्र विकसित होता है।
सार्वजनिक संपत्ति न केवल देश की बल्कि संपूर्ण प्रकृति की धरोहर है। हमें प्रकृति से उतना ही स्वीकार करना चाहिए जितनी हमें आवश्यकता हो। अन्यथा प्रकृति का अनावश्यक एवं अंध दोहन कई प्राकृतिक आपदाओं का कारण बन सकता है। दैनिक जागरण की संस्कार शाला में प्रकाशित सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान विषय पर प्रकाशित कहानी यही संदेश दे रही है। प्रधानाचार्य ने कहा कि विद्यालयों में ही छात्र-छात्राओं को मूल्यपरक शिक्षा दी जाए। उन्हें विविध पाठ्य सहगामी गतिविधियों द्वारा जल-संरक्षण, विद्युत-संरक्षण, भूमि-संरक्षण, वृक्षारोपण, मितव्ययता, प्रकृति से प्रेम आदि विषयों के महत्व से परिपुष्ट किया जाना चाहिए।
भारत का भविष्य रूपी पौधा कक्षाओं में ही पल्लवित एवं पुष्पित हो रहा है, तो हम सभी का यह दायित्व है कि इस वर्तमान पीढ़ी को सही राह दिखाएं तथा उनमें सत्यभाषिता, मितभाषिता एवं ईमानदारी जैसे जीवन मूल्य विकसित किए जाएं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हमारा खुद का ही नुकसान है। हमें किसी भी सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ट्रेन, बस, सड़के या अन्य कोई भी सार्वजनिक स्थान सभी का हमें सम्मान करना चाहिए। शपथ लेनी चाहिए हम सभी सार्वजनिक संपत्ति का हमेशा सम्मान करेंगे।
-डा. रुचिता ढाका, प्रधानाचार्य जैन कन्या इंटर कालेज शामली
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