दांव पर जिदगी: सिर पर नहीं लगाएंगे हेलमेट
भले ही जान ही क्यों न चली जाए लेकिन दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट और चौपहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट नही लगाएंगे।
शामली, जेएनएन। भले ही हमारी जान ही क्यों न चली जाए लेकिन दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट और चौपहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट नही लगाएंगे। जबकि यह सभी को पता है कि यातायात के नियम वाहन चालक जिदगी को सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए हैं। और तो और, यदि पुलिस व प्रशासनिक सख्ती के चलते हेलमेट खरीदे भी जाते है तो वह हल्के क्वालिटी के होते है या फिर सस्ते के फेर में ऐसे खरीद लिए जाते है कि वह वाहन चालक की जिदगी को सुरक्षित नही रख पाते, बल्कि वह खुद भी इतने मजबूत नही होते कि नीचे गिरने पर वह क्षतिग्रस्त होने से बच सकें। इसके विपरित होना यह चाहिए कि हेलमेट आइएसआइ मार्का का हो। यदि देखा जाए तो युवक एक बाइक पर तीन सवार होकर चलना भी अपनी शान समझते है।
दांव पर सुरक्षा-सभी को पता है कि जब कभी दोपहिया वाहन चालक की मौत हादसे में होती है तो उसका सबसे बड़ा कारण यह होता है कि चालक ने हेलमेट नही लगाया होता, यदि हेलमेट होता तो शायद जिदगी बच सकती थी। कहावत है कि जानकारी ही बचाव है, लेकिन यहां तो सब कुछ उल्टा है, जानकारी होने के बाद भी सुरक्षात्मक कदम नही उठाए जाते। अधिकांश तौर पर दोपहिया वाहन चालक हेलमेट पहनने से कतराते हैं। वह अच्छे हेलमेट में पैसा खर्च करने से भी बचते हैं। हालाकि चालान से बचने के लिए वह एक सस्ता और लोकल हेलमेट खरीद लेते हैं। ऐसा करने से जिदगी सुरक्षित नही रह पाती। अच्छी कंपनी का खरीदे हेलमेट सोचनीय बात है कि 80 हजार रुपये की बाइक तो बहुत शौक से खरीदी जाती हैं लेकिन हेलमेट नकली, ताकि हेलमेट से बस चालान से बचा जा सके। बता दें कि आजकल मार्किट में 1 हजार रुपये में ही बढि़या ऑरिजिनल आएसआइ मार्का वाला हेलमेट मिल जाता है। ऑरिजिनल हेलमेट दिखने में अच्छे होते हैं, साथ ही इनकी लाइफ ज्यादा होती है। यह सिर को पूरी तरह से सेफ रखते हैं। इस समय मार्किट में स्टीलबर्ड, स्टड्स, रुस् एरोस्टार, जैसे अच्छे ब्रांड मौजूद हैं। इन्होंने कहा
सस्ते के फेर में वाहन चालक अपनी जान के लिए सुरक्षित समझा जाने वाला हेलमेट खरीद लेता है। कुछ ज्यादा दाम देकर अच्छा कंपनी आइएसआइ मार्क वाला हेलमेट आ सकता है, लेकिन अनेक चालक इसे दर किनार कर रहे हैं। हेलमेट के लिए पुलिस द्वारा अभियान भी चलाया जाता है। चालान भी काटे जाते हैं।
भंवर सिंह, जिला यातायात अधिकारी।