वर्क फ्रॉम होम: दिक्कतें तो है पर पड़ने लगी है आदत
लॉकडाउन से पहले ही विभिन्न कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम शुरू हो गया था। लॉकडाउन लगा तो तमाम कंपनियों ने इसे लागू किया। अब अनलॉक-2 है लेकिन बड़ी संख्या में कंपनियां खासकर साफ्टवेयर कंपनियां घर से ही कर्मचारियों से काम ले रही हैं।
शामली, जेएनएन। लॉकडाउन से पहले ही विभिन्न कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम शुरू हो गया था। लॉकडाउन लगा तो तमाम कंपनियों ने इसे लागू किया। अब अनलॉक-2 है, लेकिन बड़ी संख्या में कंपनियां, खासकर साफ्टवेयर कंपनियां घर से ही कर्मचारियों से काम ले रही हैं। चार माह में वर्क फ्रॉम होम आदत का भी हिस्सा बन गया है। लेकिन कुछ दिक्कतें भी हैं। जैसे परिवार के बीच काम करने में दिक्कत रहती है। कभी कोई काम आ जाता है तो कभी कोई घर आ जाता है। ऐसे में काम थोड़ा प्रभावित भी हो रहा है। साथ ही एक स्थान पर काफी देर तक बैठने काम करने से भी थोड़ी परेशानी है।
क्या बोले लोग :
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पिछले तीन माह से घर रहकर ही कार्य कर रहा हूं। संक्रमण के कारण कार्यालय जाना नही हो रहा है। कार्यालय के लोगों से मिले भी बहुत दिन हो गए है। परिवार को पूरा समय दे रहा हूं। घर से कार्य करने में थोड़ी परेशानी है,लेकिन कोरोना संक्रमण से बचाव को घर से ही कार्य कर रहा हूं।
-दीपक शर्मा, विकास नगर शामली
महामारी के चलते कई महीनों से घर रहकर ही कार्य कर रहा हूं। स्कूल जाना नही हो रहा है। बच्चों को ऑनलाइन क्लास दे रहा हूं। सुबह के समय बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। कोरोना काल ने पूरी दिनचर्या बदल दी है। काफी समय से स्कूल के बच्चों,टीचर आदि से भी मिलना नही हो रहा है।
- विकास कपूर ,गगन विहार शामली
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते बच्चों को ऑनलाइन कोचिग दे रहा हूं। पिछले तीन माह से रोजाना ऑनलाइन क्लास ही चल रही है। बच्चों की समस्या का समाधान करने के लिए वाट्सएप ग्रुप भी बनाया है,लेकिन कोरोना महामारी के चलते घर में कार्य करने से पूरी दिनचर्या बदल गई है। जैसे कोचिग सेंटर पर बच्चों को पढ़ाया जाता है ऑनलाइन पढ़ाने में वो बात नही,लेकिन संक्रमण से बचने एंव शासन की गाइडलाइन का पालन करने के लिए ऑनलाइन शिक्षा दे रहा हूं।
-नितिन मुकेश शर्मा, काका नगर शामली
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इन्होंने कहा...
वर्कप्लेस पर जहां आप अपने सहकर्मियों से मिलते थे और सबको काम करते देख उसी उत्साह से अपने काम को करते और ब्रेक्स में उनसे भी इंटरैक्ट कर लेते थे। एक निश्चित समय के बाद फ्री महसूस करते थे, वहीं फिलहाल पिछले तीन महीनों से आप घर से ही काम कर रहे, जहां न कोई उत्साहित करने वाला सहकर्मी है और ना ही हसी मजाक वाला ब्रेक, ऊपर से उस समय परिवार में रहते हुए भी उनसे दूरी बना के रहना और व्यस्त रहना जिसका कहीं ना कहीं आपके मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है जो कुछ हद तक नकारात्मक ही है। अगर आप वर्क फ्रॉम की वजह से अपने मस्तिष्क को स्ट्रेस से घिरा पाते हैं तो कुछ मनोवैज्ञानिक उपाय आपके लिए जैसे इस दौरान चिड़चिड़ापन, उदासी और आलस महसूस करने की स्थिति में आपको अपनी जीवनशैली को थोड़ा बैलेंस करना होगा। लगातार कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने बैठने की वजाय बीच-बीच में ब्रेक लें। काम के सथ-साथ आपको ऑनलाइन कंवर्सेशन से भी ब्रेक लेना चाहिए। भले ही आप घर से काम कर रहे हैं परंतु फिर भी आपको पर्याप्त नींद 8-9 घंटे अवश्य लेनी चाहिए। इसके अलावा परिवार के लिए भी वक्त निकालें और समय बिताएं। दोस्तों या रिश्तेदारों से जाकर मिलना संभव नहीं इसलिए ऑनलाइन वीडियो कॉल कर संपर्क करें, ये आपको मानसिक तौर पर तरोताजा कर सकता है।
- अरुनिमा मिश्रा, मनोवैज्ञानिक शामली