जिले में 8355 किसानों से गेहूं खरीद, 42.25 करोड़ रुपये भुगतान
खरीद सत्र अंतिम चरण में है और केंद्रों पर लगातार किसान गेहूं लेकर आ रहे हैं। अब तक 8355 किसानों से खरीद हुई है और 6775 किसानों का भुगतान भी हो चुका है। 15 जून तक केंद्र खुले रहेंगे।
जागरण संवाददाता, शामली।
खरीद सत्र अंतिम चरण में है और केंद्रों पर लगातार किसान गेहूं लेकर आ रहे हैं। अब तक 8355 किसानों से खरीद हुई है और 6775 किसानों का भुगतान भी हो चुका है। 15 जून तक केंद्र खुले रहेंगे।
जिले में गेहूं की फसल का रकबा 48973 हेक्टेयर रहा। एक अप्रैल से खरीद सत्र शुरू हुआ था और तब तक सिर्फ 64 किसानों ने ही पंजीकरण कराया था। हरियाणा की मंडियों में किसानों को दिक्कत रही तो जिले में ही बिक्री के लिए पंजीकरण की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। दरअसल, काफी किसान हरियाणा की मंडियों में ही गेहूं-धान बेचने जाते रहे हैं।
जिले में 30 क्रय केंद्र हैं और अब तक 10861 किसान आनलाइन पंजीकरण करा चुके हैं। अब तक 25473.30 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रतिकुंतल है और इसी हिसाब से भुगतान हो रहा है। अब तक का कुल देय 50.30 करोड़ रुपये बैठता है और 42.25 करोड़ का भुगतान हो चुका है।
जिला खाद्य विपणन अधिकारी निहारिका सिंह ने बताया कि खाद्य विभाग के छह, पीसीएफ के 20, पीसीयू के तीन और एफसीआई का एक केंद्र है। सर्वाधिक 14277 मीट्रिक टन खरीद पीसीएफ के केंद्रों पर हुई है। 24126 मीट्रिक टन गेहूं एफसीआई के गोदाम में जा चुका है और क्रय केंद्रों पर 1346.70 मीट्रिक टन ही अवशेष है। पिछले साल के मुकाबले काफी अधिक खरीद है। जिले में इतनी खरीद कभी नहीं हुई है। सर्वाधिक 17888 मीट्रिक टन गेहूं पिछले साल खरीदा गया था।
सरकार की लागत मूल्य गणना दोषपूर्ण: पंवार
शामली। सपा के वरिष्ठ नेता डा. सुधीर पंवार ने अपने जारी बयान में कहा कि सरकार की प्रमुख खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में की गई बढ़ोतरी से लागत मूल्य अधिक बढ़े है। उदाहरण के लिए प्रमुख फसल धान पर केवल 72 प्रति कुंतल बढ़े है, जबकि मक्का पर 20 कुंतल तथा कपास पर 211 कुंतल। इससे अधिक तो डीजल महंगा होने से सिचाई खर्च बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि तिलहन और दलहन फसलों का बाजार मूल्य घोषित मूल्यों से कहीं अधिक है। इससे किसानों को कोई लाभ नहीं होने वाला। सरकार के लागत मूल्य की गणना दोषपूर्ण है तथा वास्तविकता से परे है। उस पर किसानों को 72-85 फीसद लाभ की घोषणा करना किसानों के साथ मजाक है।