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रोजगार से हुआ किनारा तो पंचायत चुनाव बना सहारा

कोविड-19 में लगे लाकडाउन से देश-दुनिया और सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त करके रख दिया। कोविड ने किसी की जिदगी छीन ली तो किसी का रोजगार छूट गया। ऐसे भी रहे जिन्होंने लाखों की नौकरी छोड़कर गांव का रूख किया और अपनी माटी से वादा किया कि अब इसे छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। लाकडाउन व कोविड के प्रभाव के बीच त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव-2021 युवाओं के लिए रोजगार के अवसर लेकर आया है। कभी सियासत से दूर-दूर रहने वाले कई युवा अब ग्रामीण अंचल की सियासी नौका को चुनावी वैतरणी से पार करने की जुगत में है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 11:06 AM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 11:06 AM (IST)
रोजगार से हुआ किनारा तो पंचायत चुनाव बना सहारा
रोजगार से हुआ किनारा तो पंचायत चुनाव बना सहारा

शामली, अनुज सैनी। कोविड-19 में लगे लाकडाउन से देश-दुनिया और सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त करके रख दिया। कोविड ने किसी की जिदगी छीन ली तो किसी का रोजगार छूट गया। ऐसे भी रहे जिन्होंने लाखों की नौकरी छोड़कर गांव का रूख किया और अपनी माटी से वादा किया कि अब इसे छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। लाकडाउन व कोविड के प्रभाव के बीच त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव-2021 युवाओं के लिए रोजगार के अवसर लेकर आया है। कभी सियासत से दूर-दूर रहने वाले कई युवा अब ग्रामीण अंचल की सियासी नौका को चुनावी वैतरणी से पार करने की जुगत में है।

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ग्रामीण युवा करिअर के लिए इस चुनाव को काफी अच्छा अवसर मानते हुए जी-जान से प्रचार-प्रसार और जीत के लिए मशक्कत कर रहे हैं। इन्होंने नामांकन प्रक्रिया चल रही है और नामांकनों की खरीद के साथ-साथ ही गांवों में चुनावी ताल ठोक दी हैं। लाकडाउन में गांव लौटे ये युवा शहरों में वापस नहीं लौट पाए हैं तो वहीं कुछ गांव से अब बाहर जाने के मूड में नहीं है। अब चुनाव में प्रधानी पद के लिए किस्मत आजमा रहे युवा 25 से 35 के बीच के है। इन युवाओं ने ठाना है कि कोविड के चलते बाहर से वापस लौटना पड़ा और रोजगार का संकट पैदा हो गया तो अब गांव में ही रोजगार के इस तरह से अवसर मुहैया कराए जाए ताकि दूर-दराज जाकर किसी को नौकरी न करनी पड़े। कुवैत में डेढ़ लाख रुपये की नौकरी छोड़कर प्रधानी पद दाव

जिले के गांव दखौड़ी निवासी सुनील कुमार की कुवैत में अच्छी खासी नौकरी थी। मोबाइल टावर पर बतौर फोरमैन सुनील को डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह की नौकरी मिलती थी, लेकिन कोविड के प्रकोप के बीच साल 2020 में गांव की ओर रूख किया। बकौल सुनील, साल 2012 में इटली जाकर नौकरी की। इसके बाद 2013 से 2015 तक दुबई और फिर 2015 तक कुवैत में नौकरी करते रहे। कोविड-19 ने गांव की अहमियत बता दी। पूरी दुनिया में कोरोना से त्राहि-त्राहि मची तो अपने गांव में ही राहत मिली। अब यहीं गांव में छोटी सी दुकान की है। पंचायत चुनाव है और अब प्रधानी पद की तैयारी कर रहा हूं। निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ूंगा। मेरा मकसद गांव में ऐसी परिस्थितियां पैदा करना है ताकि किसी युवा को मजबूरी में गांव छोड़कर बाहर नौकरी न करना पड़े। अस्पताल, स्टेडियम, बस स्टैंड बनवाने के साथ शिक्षा के लिए उचित प्रबंध करने का संकल्प लिया है। माटी की खातिर हरियाणा में नेस्ले कंपनी की छोड़ गांव लौटे नितिन

ब्लाक थानाभवन क्षेत्र के गांव अंबेहटा याकूबपुर निवासी 29 वर्षीय नितिन कुमार सिंह लाकडाउन से पहले हरियाणा के पानीपत जनपद में नेस्ले कंपनी में अच्छी सेलरी पर नौकरी कर रहे थे, लेकिन गांव की माटी से अटूट प्यार होने के नाते गांव में समय मिलते ही पहुंचते थे। लाकडाउन ने ऐसे हालात पैदा किए कि नितिन ने पूरी तरह से नौकरी से किनारा कर लिया। नितिन ने बताया कि प्रधानी का चुनाव लड़कर गांव व समाज की सेवा करूंगा। लड़कियों के लिए गुरुनानक कन्या इंटर कालेज तक पहुंचने के लिए बस की व्यवस्था, अस्पताल और गांव को नशामुक्ति के लिए काम करने का संकल्प लिया है। पेपर मिल में छूटी नौकरी, युवाओं के लिए करेंगे रोजगार का प्रबंध

गांव जाफरपुर निवासी विनित सैनी सिक्का पेपर मिल में जाब कर रहे थे। लाकडाउन में मिल की नौकरी छूट गईं। अब गांव में ही रहकर प्रधानी पद के लिए जुटे है। विनित कहते है कि रोजगार गांव छोड़ने की बड़ी समस्या है अब गांव व आसपास ही रोजगार मिल जाए, ऐसे प्रबंधक करना ही प्राथमिकता है। राजनीति के जरिए युवाओं के लिए बेहतर कार्य करने का काम करेंगे। बड़ी तादात में युवा प्रधान होंगे प्रत्याशी

साल 2015 में जिले में करीब 45 फीसद प्रधान युवा थे, लेकिन इस मर्तबा युवाओं की तादात चुनाव लड़े में और अधिक होने की संभावना है। जिले में कुल सात लाख 47 हजार 785 मतदाता है। इनमें काफी तादात में युवा है, वहीं इस साल 16 हजार 162 युवा मतदाता पहली बार वोट डालेंगे।


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