नवाब तालाब की खूबसूरती गुजरे जमाने की बात
कैराना(शामली): कभी अपनी खूबसूरती और प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज नवाब तालाब लोगों को खुद क
कैराना(शामली): कभी अपनी खूबसूरती और प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज नवाब तालाब लोगों को खुद की ओर खूब लुभाया करता था। मुगल बादशाह जहांगीर के वजीर मुकर्रब खा द्वारा इस निर्मित तालाब को अदभुत तरीके से बनाया गया था। एक वक्त था कि लोग बरबस ही नवाब तालाब की ओर मुड़ जाया करते थे, लेकिन वर्तमान में सरकार की उपेक्षा के शिकार इस तालाब में गंदगी का अंबार है तो वहीं जर्जर हालत में पहुंचने लगा है।
नगर के अफगानान मोहल्ला स्थित नवाब ताला अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है और अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है, लेकिन कोई उसकी सुध लेने वाला नही है। बादशाह जहांगीर के वजीर नवाब मुकर्रब खां ने कैराना नगरी में आलीशान बाग लगवाया था, जो नौ लखा बाग नाम से जाना जाता था। इसी बाग में नवाब मुकर्रब खां ने एक हौज बनवाया था, जो आज नवाब तालाब की शक्ल में है। नवाब साहब ने इस तालाब के बीच एक चबूतरे का भी निर्माण कराया था जो आज अपनी पहचान खो चुका है। नवाब तालाब के सौंदर्यीकरण को लेकर कई बार सरकारी धनराशि की स्वीकृति भी हो चुकी, लेकिन आज तक इस खूबसूतरी के लिये कोई ठोस कदम नही उठाये गये है। इस कारण तालाब की भूमि पर अवैध कब्जे होते जा रहे है। यह वही नवाब तालाब है,जिसको देखने के लिय जहांगीर बादशाह ने आगरा से दरियाई रास्ते कैराना पहुंचे थे और अपने वजीर नवाब मुकर्रब खां द्वारा लगाये गये नौ लखा बाग का मुआयना कर प्रसन्न हुए थे। शहंशाह जहांगीर अपने लिखित पुस्तक ''तुजक ए जहांगरी'' में उल्लेख करते हुए लिखा है कि मैंन स्वंय हरा पिस्ता तोडकर खाया है और जो वृक्ष इस बागीचे में मैने अपनी आंखों से देखे है, विश्व में कहीं नहीं देखे। इसकी सुंदरता का मैं कायल हूं। जिसके बाद शहंशाह जगांहीर ने अपने वजीर दोस्त को मौ. हसन से बदलकर उन्हें नवाब मुकर्रब खां का खिताब दिया था,यह खिताब उनके जीवनकाल कायम रहा। पानी की समस्या से निपटने के लिये नवाब साहन ने अपने इस बागीचे में लगभग 360 कुएं भी बनवाये थे। यह बागीचा एक बडे रकबे में फैला हुआ था और वृक्षों की संख्या भी लाखों में थी।
झरने बढ़ाते है तालाब की शोभा
वैसे तो नवाब तालाब अपने आप में एक ऐतिहासिक जगह है और इसकी खूबसूरती को इसमें बनाए दो झरने चार चांद लगाते थे। झरने के माध्यम से नवाब तालाब में यमुना नदी के पानी की सप्लाई होती थी और दूसरे झरने से तालाब ओवरफ्लो होने के बाद पानी की निकासी का काम लिया जाता था। आज यह दोनों झरने भी अपनी पहचान गवा चुके है।
नवाब सहब के मजार पर रहती है भीड
नवाब मुकर्रब खां का जमार शरीफ पानीपत में स्थित कलंदर साहब मौजूद है, जहां बडी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। उनके मजार शरीफ पर जो पत्थर लगाया गया है वह बेशकीमती है। जहर मोरा नाम का पत्थर उनके मजार शरीफ पर लगाया गया, जिसकी विशेषता है कि जहर को समाप्त करने के लिये इसी पत्थर को जमीन पर घिसकर लगाया जाता है तो सभी प्रकार के जहर मिनटों में खत्म हो जाते है।