अनंतनाग में शहीद हुए शामली के जांबाज सतेन्द्र का गांव गम में डूबा
अनंतनाग में आतंकी हमले में जिले ने अपने एक और जांबाज को खो दिया है। हमले में कांधला थानाक्षेत्र के गांव किवाना निवासी सीआरपीएफ जवान सतेन्द्र कुमार शहीद हो गए।
By Ashu SinghEdited By: Published: Thu, 13 Jun 2019 12:41 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jun 2019 12:41 PM (IST)
शामली,जेएनएन। कश्मीर में बुधवार को अनंतनाग में आतंकी हमले में जिले ने अपने एक और जांबाज को खो दिया है। इस हमले में कांधला थानाक्षेत्र के गांव किवाना निवासी सीआरपीएफ जवान सतेन्द्र कुमार शहीद हो गए है। आतंकियों से बहादुरी से मुकाबला करते हुए सतेन्द्र कुमार गोली का निशान बने। उपचार के दौरान उनकी मौत हो गयी।
शहीद के घर पहुंचे सैकड़ों लोग
2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए सतेन्द्र कुमार के दो बेटे हैं। सतेन्द्र की मौत से गांव में गम का माहौल है। सैंकड़ों ग्रामीण शहीद के घर एकत्र है तथा परिवार को सांत्वना दे रहे हैं। गुरुवार देर रात तक शहीद सतेन्द्र का पार्थिव शरीर उनके पैत्रिक गांव पहुंचने की उम्मीद है।
छह साल पहले हुई थी शादी
गांव किवाना निवासी मुन्ना कश्यप का बड़े बेटे सतेन्द्र कुमार है। जितेन्द्र व केशव सतेन्द्र से छोटे भाई है। मां का निधन हो चुका है। मुन्ना कश्यप व जितेन्द्र दूध कारोबार करते हैं। केशव ने इंटर की परीक्षा पास की है और वह सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहा है। सतेन्द्र की छह साल पहले शादी सोनिया से हुई और उनके दो बेटे दीपांशु व वाशु है। सतेन्द्र 2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए और छत्तीसगढ़ नक्सल क्षेत्र में तैनात रहे। ढाई साल पहले ही सतेन्द्र का ट्रांसफर जम्मू-कश्मीर में हुआ था। फिलहाल वह अनंतनाग में तैनात थे।
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में थे तैनात
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में पुलिस के साथ तैनात सतेन्द्र कुमार के टीम पर आतंकियों ने हमला किया। इसमें सतेन्द्र कुमार अपने पांच साथियों संग बहादुरी से मुकाबला करते हुए शहीद हो गए। देर रात सीआरपीएफ मुख्यालय से फोन पर परिजनों को सतेन्द्र कुमार की शहादत की सूचना दी गयी। इससे पूरे परिवार में हाहाकर मच गया। गांव में जैसे ही यह खबर फैली हर कोई मुन्ना कश्यप के घर पहुंचा तथा उन्हें सांत्वना दी।
पत्नी का रो रोकर बुरा हाल
सतेन्द्र की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। सतेन्द्र की शहादत से पूरे जिले में शोक व्याप्त हो गया है। मुन्ना कश्यप ने बताय कि सीआरपीएफ मुख्यालय से जानकारी दी गयी है कि शहीद का पार्थिव शरीर देर शाम तक गांव पहुंचेगा। शहीद के घर लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है। ग्रामीणों ने शहीद सतेन्द्र की याद में गांव में शहीद गेट, शहीद स्मारक, 50 लाख की आर्थिक मदद,बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा व परिजनों को सरकारी नौकरी देने की मांग की है। अभी तक कोई प्रशासनिक-पुलिस अधिकारी या जनप्रतिनिधि शहीद सतेन्द्र के घर नहीं पहुंचा है।
शहीद के घर पहुंचे सैकड़ों लोग
2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए सतेन्द्र कुमार के दो बेटे हैं। सतेन्द्र की मौत से गांव में गम का माहौल है। सैंकड़ों ग्रामीण शहीद के घर एकत्र है तथा परिवार को सांत्वना दे रहे हैं। गुरुवार देर रात तक शहीद सतेन्द्र का पार्थिव शरीर उनके पैत्रिक गांव पहुंचने की उम्मीद है।
छह साल पहले हुई थी शादी
गांव किवाना निवासी मुन्ना कश्यप का बड़े बेटे सतेन्द्र कुमार है। जितेन्द्र व केशव सतेन्द्र से छोटे भाई है। मां का निधन हो चुका है। मुन्ना कश्यप व जितेन्द्र दूध कारोबार करते हैं। केशव ने इंटर की परीक्षा पास की है और वह सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहा है। सतेन्द्र की छह साल पहले शादी सोनिया से हुई और उनके दो बेटे दीपांशु व वाशु है। सतेन्द्र 2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए और छत्तीसगढ़ नक्सल क्षेत्र में तैनात रहे। ढाई साल पहले ही सतेन्द्र का ट्रांसफर जम्मू-कश्मीर में हुआ था। फिलहाल वह अनंतनाग में तैनात थे।
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में थे तैनात
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में पुलिस के साथ तैनात सतेन्द्र कुमार के टीम पर आतंकियों ने हमला किया। इसमें सतेन्द्र कुमार अपने पांच साथियों संग बहादुरी से मुकाबला करते हुए शहीद हो गए। देर रात सीआरपीएफ मुख्यालय से फोन पर परिजनों को सतेन्द्र कुमार की शहादत की सूचना दी गयी। इससे पूरे परिवार में हाहाकर मच गया। गांव में जैसे ही यह खबर फैली हर कोई मुन्ना कश्यप के घर पहुंचा तथा उन्हें सांत्वना दी।
पत्नी का रो रोकर बुरा हाल
सतेन्द्र की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। सतेन्द्र की शहादत से पूरे जिले में शोक व्याप्त हो गया है। मुन्ना कश्यप ने बताय कि सीआरपीएफ मुख्यालय से जानकारी दी गयी है कि शहीद का पार्थिव शरीर देर शाम तक गांव पहुंचेगा। शहीद के घर लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है। ग्रामीणों ने शहीद सतेन्द्र की याद में गांव में शहीद गेट, शहीद स्मारक, 50 लाख की आर्थिक मदद,बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा व परिजनों को सरकारी नौकरी देने की मांग की है। अभी तक कोई प्रशासनिक-पुलिस अधिकारी या जनप्रतिनिधि शहीद सतेन्द्र के घर नहीं पहुंचा है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें