मनुष्य जीवन में संस्कारों की अनिवार्यता
स्कोटिस इंटरनेशनल की प्रधानाचार्य आशु त्यागी ने संस्कारों की महत्ता पर की विस्तार से चर्चा
जागरण संवाददाता, शामली : स्कोटिस इंटरनेशनल की प्रधानाचार्य आशु त्यागी ने कहा है कि संस्कार मानव जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है। बिना संस्कार के हम अपने जीवन को धर्म व अध्यात्म से नहीं जोड़ सकते। आज समाज को सर्वाधिक आवश्यकता संस्कारों की है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को माता-पिता व शिक्षकों के साथ ही प्रत्येक के प्रति आदर व सत्कार का भाव रखने पर बल दिया।
बुधवार को दैनिक जागरण की पहल पर स्कोटिश इंटरनेशल स्कूल में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें शिक्षकों ने छात्र-छात्राओं को संस्कारों का महत्व बताया। बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया था। उन्होंने कहा कि विद्यालय में समग्र शिक्षा पर ध्यान दिया जाता है, जिससे सभी बच्चे समर्थ व समृद्ध नागरिक बन सकें। इस अवसर पर प्रधानाचार्य आशु त्यागी ने कहा कि प्राचीन काल में ऋषियों ने संस्कारों का निर्माण मनुष्य के समग्र व्यक्तित्व के परिष्कार के लिए किया था। यह विश्वास किया जाता था कि संस्कारों के अनुष्ठान से व्यक्ति में गुणों का आविर्भाव हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को अनुशासित किया जाना, उसकी आध्यात्मिक उन्नति मानव के चरम विकास का पर्याय है। संस्कारों से इसी की पूर्ति होती है। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति के आदि प्रवक्ता भगवान मनु का कथन है कि संस्कार शरीर को शुद्ध करके उसे आत्मा के निवास के उपयुक्त बनाते हैं। यह एक तथ्य है कि जन्म से प्रत्येक व्यक्ति अबोध होता है, ¨कतु संस्कारों द्वारा परिमार्जित होकर ही वह गुणी, विद्वान एवं संस्कारवान बनता है। इस तरह मानव जीवन को पवित्र एवं उत्कृष्ट बनाने वाले आध्यात्मिक उपचार का नाम संस्कार है। इस अवसर पर स्कूल के छात्र-छात्राएं व शिक्षक-शिक्षिकाएं मौजूद रहे।