मिशन 2019 साधने को छोटे चौधरी का जाट-मुस्लिम गठजोड़
- कैराना उपचुनाव की जीत के बाद अब सियासी जमीन मजबूत करने की कवायद - रालोद का मुस्लिम चेह
शामली: वेस्ट यूपी में सियासी वजूद की जंग लड़ रही रालोद में कैराना उपचुनाव की जीत के बाद नया जोश, ऊर्जा और जान फूंकने को छोटे चौधरी यानि चौ. अजित ¨सह फिर से जुटे है। वहीं साल 2013 में मुजफ्फरनगर-शामली में हुई ¨हसा के बाद दरकी सियासी दीवार को मजबूत करने को रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी मुस्लिमों पर डोरे डाले जा रहे है। यहीं वजह है कि अब जनपद में जाट-मुस्लिम गठजोड़ को और मजबूत करने को मुस्लिमों में मजबूत पकड़ रखने वाले किला परिवार के अशरफ अली खान को राष्ट्रीय महासचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सियासत में माहिर खिलाडी रालोद प्रमुख चौ. अजित ¨सह यह बात भली भांति जानते है कि उन्हें कब और कौन सा दांव चलना है?, लेकिन साल 2013 में हुए दंगों ने उन्हें बुरी तरह से तोड़कर रख दिया था। दंगों में सबसे ज्यादा नुकसान उनकी पार्टी रालोद को उठाना पड़ा था, क्योंकि दंगों में उनका सबसे मजबूत गठबंधन जाट-मुस्लिम दो फाड़ हो गया। अब उपचुनाव 2018 में रालोद प्रत्याशी की जीत से माहौल सामान्य होने के बाद रालोद को फिर से वेस्ट में मजबूत करने की जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है। छोटे चौधरी ने ¨हदू-मुस्लिमों को एक ही बात समझाने में जुटे है कि ¨हदू-मुस्लिम गठजोड़ बनाकर रालोद के साथ जुड़ने से ही भाजपा को रोका जा सकता है। इस मर्तबा रालोद ने वेस्ट में मुस्लिम को साथ लाने के लिए चौ. अजित ¨सह के निर्देश पर राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. वसीम राजा ने पूर्व चेयरमैन अशरफ अली खान को युवा रालोद का राष्ट्रीय महासचिव मनोनित किया है। इसके साथ ही रामरसपाल पौनिया को महासचिव व र¨वद् पटेल को प्रदेश उपाध्यक्ष मनोनित किया है। जाट मुस्लिम गठजोड़ के मजबूत होने से वेस्ट में रालोद के मजबूत होने की संभावनाएं बनने से इंकार नहीं किया जा सकता है।