गृह जनपद पहुंचे प्रवासियों के सामने रोजगार की समस्या, दो जून की रोटी के पडे़ लाले
कोरोना का कहर और महामारी के बीच गरीबों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। अन्य प्रदेशों में कामकाज करने वाले लोग किसी तरह अपने जनपद में पहुंच तो गए हैं। अब उनके सामने खाने के लिए राशन की परेशानी बन रही है। शुरूआत में तो स्वास्थ्य जांच के लिए उनके घर डॉक्टर की टीम और अन्य अधिकारी भी पहुंचे। अब उनका कोई अता-पता नहीं ले रहा है। दो-चार बीघे खेती से गेंहू होते थे। जिनसे घर का काम चल जाता था।
शामली, जेएनएन। कोरोना का कहर और महामारी के बीच गरीबों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। अन्य प्रदेशों में कामकाज करने वाले लोग किसी तरह अपने जनपद में पहुंच तो गए हैं। अब उनके सामने खाने के लिए राशन की परेशानी बन रही है। शुरूआत में तो स्वास्थ्य जांच के लिए उनके घर डॉक्टर की टीम और अन्य अधिकारी भी पहुंचे। अब उनका कोई अता-पता नहीं ले रहा है। दो-चार बीघे खेती से गेंहू होते थे। जिनसे घर का काम चल जाता था।
इस बार बारिश के कारण सारे गेहूं भी खराब हो गए है। छोटे-छोटे बच्चे और पत्नी के साथ बस पड़ोसी से मांगकर फिलहाल तो गुजारा चल रहा है। राशन कार्ड बनवाने के लिए सभासद के घर के चक्कर काटने पड़ रहे है। शायद कोई सुध लेता तो हमारे भी बच्चों के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम हो जाता। एक और तो महामारी के चलते कामकाज ठप हो चुका है। साथ ही पैसा ना होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह कहानी किसी एक दो परिवार की नहीं है। बल्कि अन्य प्रदेशों से आए सैंकड़ों प्रवासियों के सामने बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। प्रवासियों की माने तो अभी तक उन्हें किसी भी तरह की कोई सरकारी मदद नहीं मिली है।
थानाभवन निवासी प्रवीण कुमार बताते है कि वह लॉकडाउन के पूर्व मध्यप्रदेश में फैक्ट्री में कार्य करते थे। अपने परिवार के साथ वहीं रह रहे थे। लॉकडाउन होने पर कामकाज ठप हो गया। अब वापस अपने गृह जनपद पहुंचे है। पिछले कई दिनों से शामली के थानाभवन अपने घर रह रहे है। प्रवीण कुमार का यह आरोप है कि अभी तक किसी भी सरकारी मदद नही मिली है। रोजगार ठप होने से दो जून की रोटी का संकट खडा हो गया है। राशन कार्ड बनवाने के लिए सभासद के पास गए थे,लेकिन किसी ने नही बनवाया है। प्रवीण कुमार का कहना है यदि कहीं कोई कार्य देगा तो वह मजदूरी करने के लिए तैयारी है।
जलालाबाद निवासी कासिम बताते है कि वह लॉकडाउन से पूर्व अहमदनगर में कपड़ों की फेरी का कार्य करते थे। लॉकडाउन के चलते कामकाज ठप होने से उनको अपने गृह जनपद लौटना पड़ा है। रोजगार ठप होने से खाने की परेशानी खड़ी हो गई है। बारिश के कारण गेंहू की फसल भी खराब हो गई है। अभी तक किसी भी प्रकार की कोई सरकारी मदद नही मिली है। रोजगार और पैसा ना होने के कारण पूरे परिवार को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन्होंने कहा...
बाहर के आए प्रवासी मजदूरों के राशन कार्ड बनवाएं जा रहे है। यदि कोई ज्यादा ही गरीब है उसको प्रशासन द्वारा राशन कीट भी दी जा रही है। किसी भी गरीब के राशन कार्ड बनने में यदि कोई समस्या आ रही है,उसका जल्द समाधान कराया जाएगा।
जसजीत कौर , डीएम शामली