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चीनी मिल खराबी से शहर में ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतार

चीनी मिल में खराबी के कारण शहर में ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतार लग गई। लोगों को जाम की समस्या से जूझना पड़ा। हालांकि शाम तक कतार छोटी हो गई थी जिससे राहत रही।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 11:23 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 11:23 PM (IST)
चीनी मिल खराबी से शहर में ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतार
चीनी मिल खराबी से शहर में ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतार

शामली, जागरण टीम। चीनी मिल में खराबी के कारण शहर में ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतार लग गई। लोगों को जाम की समस्या से जूझना पड़ा। हालांकि शाम तक कतार छोटी हो गई थी, जिससे राहत रही।

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सोमवार को तकनीकी खराबी आने से चीनी मिल में तीन घंटे पेराई बंद रही थी। गन्ना लदे ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतार कुछ समय के लिए मिल रोड पर ही रही थी। मंगलवार को फिर से तकनीकी दिक्कत आ आई और पांच घंटे तक पेराई ठप रही। गन्ने की आवक जारी थी और ऐसे में मिल गेट से लेकर वर्मा मार्केट तिराहा, हनुमान धाम रोड और सुभाष चौक तक कतार लग गई। दोपहर में सड़कों पर अन्य वाहनों का आवागमन अधिक था। ऐसे में जाम की समस्या अधिक रही। एंबुलेंस भी जाम में फंसी और बामुश्किल रास्ता मिल सका। हालांकि दोपहर बाद गन्ने की आवक कम हुई और अग्रसैन पार्क तक जाम रहा। ऐसे में मिल रोड पर ही समस्या बनी रही।

अपर दोआब चीनी मिल के वरिष्ठ प्रबंधक (गन्ना) दीपक राणा ने बताया कि दो दिन मिल में खराबी रही। इस कारण से ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतार लग गई है। देर रात तक स्थिति पूरी तरह सामान्य होने की उम्मीद है। जरूरत पड़ी तो इंडेंट कम कर दिया जाएगा। क्रय केंद्रों से गन्ना लेकर आने वाले ट्रकों को बुढ़ाना रोड स्थित यार्ड में ही रोका जा रहा है।

रमजान में कुरआन पढ़ना सबसे बड़ी इबादत

संवाद सूत्र, कैराना : हाफिज मोहम्मद हम्माद शम्सी ने रम•ान के संबंध में बताया कि रम•ान के महीने में क़ुरआन ना•िाल हुआ था। इसलिए रम•ान के महीने की सब से बड़ी इबादत कुरआन पढ़ना है। उनका कहना है कि कुरआन को केवल रटने से उसकी सच्ची बरकत हासिल नहीं हो सकती। कुरआन की सच्ची बरकत हासिल करनी है तो इसे समझकर पढ़ना होगा। इस पवित्र रम•ान में ़खुद भी कुरआन के ऊर्दू एवं हिन्दी अनुवाद का अध्ययन कर रहे हैं और सभी से अपील करते हुए कहा कि कुरआन को समझकर पढ़ें। शम्सी का कहना है कि दुनिया की कोई भी किताब बिना समझे नहीं पढ़ी जाती, इसलिए कुरआन को भी समझकर ही पढ़ा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अनुवाद ने कुरआन को समझने के लिए आसान कर दिया। इसलिए यह कहना बिलकुल गलत है कि कुरआन को समझना मुश्किल काम है।


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