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शहर में नासूर बना जाम, समाधान के नहीं कोई इंतजाम

श्यामनगरी (शामली) की पहचान जामनगरी की हो चुकी है। ऐसा कोई ही दिन होता है जब यहां यातायात व्यवस्था न चरमराती हो। गन्ना पेराई सत्र में तो यह समस्या नासूर बन जाती है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Mar 2020 10:36 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 06:07 AM (IST)
शहर में नासूर बना जाम, समाधान के नहीं कोई इंतजाम
शहर में नासूर बना जाम, समाधान के नहीं कोई इंतजाम

शामली, जेएनएन। श्यामनगरी (शामली) की पहचान जामनगरी की हो चुकी है। ऐसा कोई ही दिन होता है, जब यहां यातायात व्यवस्था न चरमराती हो। गन्ना पेराई सत्र में तो यह समस्या नासूर बन जाती है। सालों से समस्या जस की तस है और जिम्मेदार कोई समाधान नहीं ढूंढ सके हैं। योजना बनाने की बात भी हुई, लेकिन हुआ कुछ नहीं। जाम के कारण लोगों का घर निकलना भी दूभर रहता है। पैदल चलने के लिए भी जंग सी लड़नी पड़ती है। एंबुलेंस फंसने से मरीज भी परेशान होते हैं और स्कूली बच्चों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिलाधिकारी भी जाम से दो-चार हो चुकी हैं, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका है, तभी तो जाम से परेशान लोग अब पलायन की बात करने लगे हैं।

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शामली चीनी मिल का रास्ता शहर के बीच से होकर जाता है। इसके अलावा कोई रास्ता ही नहीं है। नवंबर में चीनी मिल में पेराई सत्र शुरू होकर जून तक चलता है। हर साल गन्ने का सीजन शहर पर भारी पड़ता है। गन्ने से लदे ट्रैक्टर-ट्रॉली और भैंसा-बुग्गी से अक्सर जाम की स्थिति बनती है। कई बार तो लगातार कई-कई दिन तक जाम लगा रहता है और ट्रैफिक रेंगता है। दोपहिया वाहनों का निकलना तो दूर, पैदल चलने वालों की भी मुसीबत रहती है। पिछले सप्ताह बारिश के बाद गन्ने की कटाई, छिलाई का काम बाधित हो गया था। मौसम साफ हुआ तो गन्ने की आवक बढ़ी और तीन दिन से शहर जाम के झाम में फंसा है। मिल गेट से लेकर शहर के विभिन्न मार्गो पर गन्ने से लदे वाहनों की कतार रहती है। इसके अलावा जब मिल की ओर से अधिक पर्चियां जारी होती हैं तो जाम लगता है। मिल में खराबी आ जाती है तो जाम लगता है। जाम मुख्य शहर में ही अधिक होता है तो व्यापारी भी परेशान हैं। ग्राहक जाम में फंसने से बचने के लिए दुकानों पर जाने से परहेज करते हैं। सिर्फ गन्ने के वाहन ही नहीं हैं जाम के कारण

शहर में अतिक्रमण बड़ी समस्या है और यह जाम का प्रमुख कारण भी है। घरों एवं दुकानों के रैंप हद यानी नाली से भी आगे तक बनाए हुए हैं। इसके अलावा दुकानें सड़क किनारे तक लगाई जाती हैं। रेहड़ी-ठेली और अस्थाई दुकानें अलग से लगती हैं। कुल मिलाकर अतिक्रमण से शहर की सड़कें संकरी हो गई हैं। इसके अलावा शहर में कोई पार्किंग नहीं है। ऐसे में तमाम दोपहिया-चौपहिया वाहन सड़क किनारे बेतरतीब ढंग से खड़े होते हैं। एक साइड में गन्ने के वाहन खड़े हो जाते हैं तो अन्य वाहनों को निकलने में दिक्कत होती है। अगर अतिक्रमण हटा दिया जाए, पार्किंग की कोई व्यवस्था कर दी जाए तो काफी हद तक जाम की समस्या कम होगी। बहुत परेशान हैं लोग

पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम दास गर्ग का कहना है कि व्यापारियों का कारोबार ठप है। मिल रोड, सुभाष चौक, वीवी इंटर कॉलेज रोड, हनुमान रोड, भिक्की मोड़ क्षेत्र के व्यापारी बेहद परेशान हैं। जाम के कारण ग्राहक नहीं आते हैं और लगभग गन्ने की पूरे सीजन में यही स्थिति रहती है। संगठन का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को जिलाधिकारी से मिलेगा। वैसे तो अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों को दर्जनों बार समस्या से वाकिफ कराया जा चुका है। वहीं, हम सभी व्यापारियों से भी कह चुके हैं कि अतिक्रमण बिल्कुल न करें और अपना सामान नाली-नाले से पीछे ही रखें। हम अतिक्रमण के बिल्कुल खिलाफ हैं। ऐसे हो सकता है समाधान

- मिल गेट के बजाय शहर से बाहर क्रय केंद्र लगाकर गन्ना लिया जाए।

- सड़कों को अतिक्रमण से मुक्त किया जाए।

- रेहड़ी-ठेलियां चिन्हित वेंडिग जोन में ही लगें।

- वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था की जाए।

- शहर के दोनों फाटकों पर ओवरब्रिज बनाए जाएं

- रिगरोड का निर्माण तेज किया जाए।


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