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सिद्धचक्र विधान से जहर अमृत समान पोषक हो जाता : जैनमुनि

संवाद सूत्र जलालाबाद अतिशय क्षेत्र में जैनमुनि के सानिध्य में आयोजित श्रीसिद्ध चक्र महामंडल विधान म

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 10:42 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 10:42 PM (IST)
सिद्धचक्र विधान से जहर अमृत समान पोषक हो जाता : जैनमुनि
सिद्धचक्र विधान से जहर अमृत समान पोषक हो जाता : जैनमुनि

संवाद सूत्र, जलालाबाद : अतिशय क्षेत्र में जैनमुनि के सानिध्य में आयोजित श्रीसिद्ध चक्र महामंडल विधान में श्रद्धालु भक्ति भाव से भजनों पर भाव विभोर हो गए। इस मौके पर मुनिश्री ने कहा कि सिद्ध चक्र विधान के आयोजन से जहर भी अमृत समान पोषक हो जाता है। चौसठ गुण अ‌र्घ्य विधि विधान से विधानाचार्य ने संपन्न कराया।

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अतिशय क्षेत्र जलालाबाद में श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान के चौथे दिन का शुभारंभ श्रीजी के अभिषेक व शांतिधारा से किया गया। शांतिधारा विधान में श्रीजी का अभिषेक नरेन्द्र जैन, शशि जैन, सतेंद्र जैन, नीना जैन, सुशील जैन, रेणू जैन मौजूद रहे। विधानाचार्य पं. संदीप जैन ने चौसठ गुण अ‌र्घ्य विधि-विधान पूर्वक संपन्न कराया। मुनि सौरभ सागर महाराज का पूजा मंडप में पधारने पर जैन श्रद्धालुओं ने जयकारों से स्वागत किया। मुनिश्री ने सिद्ध चक्र महामंडल विधान के बारे में श्रावकों को बताया कि यह बड़ा और महान विधान है। इस विधान का फल महान है। इस विधान को मैना सुंदरी ने किया था। इसके प्रभाव से श्रीपाल तथा उनके सात सौ साथियों का कुष्ठ रोग दूर हुआ था। वे सब सांसारिक सुख भोगते हुए मोक्ष का प्राप्त हुए। मुनि ने अहिसा को परम धर्म बताया। अंहिसा धर्म का सार है इसको जीवन में अपना हम धर्म मार्ग पर चल सकते है। भोजन प्रसाद दीपक जैन, राजीव जैन शामली की ओर से दिया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सतेन्द्र जैन, सुशील जैन, तरुण कुमार जैन, धन प्रकाश जैन, राकेश कुमार जैन, सुशील कुमार जैन, सतेन्द्र कुमार जैन, प्रदीप कुमार जैन रहे।


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